तेरी यादों की महफ़िल सजाई मैंने,
नींद खो दी, भूख और प्यास भुलाई मैंने।
दिल की फ़रियादों ने मुँह मोड़ लिया,
खामोशी को अश्कों से बुझाई मैंने।
हर साया भी अजनबी सा लगे,
तेरी तस्वीर दिल में बसाई मैंने।
तन्हाई की राहों में अकेला चला,
तेरी यादों से रौशनी पाई मैंने।
चाहत में हर दर्द सहा मैंने हंसकर,
तेरी खुशियों पे हस्ती लुटाई मैंने।
हर लम्हा तेरी यादों का मंजर है,
तेरी ख्वाहिश दिल में छुपाई मैंने।
साँसों की सरगम में तू बसी है,
तेरी बातों की धुन बनाई मैंने।
जाने किस मोड़ पर तू छोड़ गई,
'जीआर' ने तेरा इंतज़ार खुदा समझ कर निभाई।
जी आर कवियूर
12 11 2024
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