जब से तू मुझसे रूठ कर चली गई,
तब से मेरा दिल धड़कना छोड़ गया।
क्या कहूं, चांद और तारे भी,
मुझसे हमेशा के लिए मुंह मोड़ गए।
बादल बरसते हैं दर्द बनके अब,
आसमान बिजली से दिल को तोड़ गए।
तेरे बिना ये रातें जगाती रहीं,
नींद भी तेरे संग कहीं सो गई।
तेरी यादें हर गली में ढूंढती हैं,
गर्जती रह गईं ये तन्हा घटाएं।
ग़म-ए-ज़िंदगी से भी दोस्ती कर ली,
'जी.आर.' ने अपने आंसुओं को भी पिया।
जी आर कवियूर
25 11 2024
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