Sunday, November 24, 2024

मंज़िल की राह(ग़ज़ल)

मंज़िल की राह(ग़ज़ल)


मंजिल बहुत दूर सही,
तेरी यादें दिल में बसी।
कोई कितना भी कहे सही,
मेरे लबों पे तेरी नग़मे सजी।

कदम डगमगाए, पर रुके नहीं,
तेरे इश्क़ ने राहें बना दीं।
तू जो ख्वाब में मुस्कुराए कभी,
मेरी दुनिया में रोशनी सी छा गई।

तेरी ख़ुशबू से महके हवाएँ,
तेरी बातें जैसे कोई दुआएँ।
हर इक मोड़ पर तेरा साया दिखा,
जैसे खुदा ने तुझसे राहें मिलाई।

शायर "जी.आर." का ये पैग़ाम है,
मोहब्बत में हर दर्द आसान है।

जी आर कवियूर
24 11 2024

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