आज तू इतना करीब है,
यादों में नग़्मे बन कर।
दिल के हर एक ख्वाब में,
उतरी है ख़ामोशी बन कर।
हर लम्हा तेरा जिक्र है,
धड़कनों में जैसे सुर बन कर।
शाम ढले जो तेरा ख्याल आए,
चांदनी भी महके ग़ज़ल बन कर।
तेरे बिना ये जिंदगी है,
सूनी राहों का सफर बन कर।
सदियों से जो तलाश में था,
मिला है सुकून तुझमें उतर कर।
कहते हैं "जी.आर. कवियूर",
तू ही है मेरा ख्वाब बन कर।
जी आर कवियूर
06 11 2024
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