मन में जो उदासी पाई है
बीते हुए लम्हों की याद सताती है।
हर एक ख्वाब, हर एक किस्सा,
तेरी तस्वीर को फिर से दिखाती है।
तू जो बिछड़ी, मैं बिखर सा गया,
मेरी तन्हाई तुझको पुकारती है।
दिल में अब भी तेरी जगह बाकी है,
तेरी हर बात मुझे रुलाती है।
चाहूं भुलाना, पर नामुमकिन है,
तेरी मोहब्बत ही जीना सिखाती है।
इन अशआरों में छुपा है दर्द मेरा,
जो मेरे दर्द भरे नग़मे सुनाती है।
'जी.आर.' ये ग़ज़ल मेरी फरियाद है,
तेरे बिना हर साँस अधूरी लगती है।
जी आर कवियूर
25 11 2024
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