Saturday, November 23, 2024

जुबां पे हरदम रहता है। (गज़ल)

ग़ज़ल: जुबां पे हरदम रहता है
(शायर: 'जीआर')

तेरी बातें दिन-रात सताती हैं मुझको,
हर ख्वाब में तसवीर बनाती हैं मुझको।

चांदनी रातों में तेरा ही नूर ढूंढूं,
तेरी ही सदा दूर से बुलाती हैं मुझको।

दिल का ये आलम है तेरे बिना सारा,
हर बात तेरी फिर भी सताती हैं मुझको।

तेरी खुशबू को मैं हवाओं से मांगूं,
तेरी यादें हर सुबह जगाती हैं मुझको।

चुपचाप आंखों से अश्क बहते रहते,
तेरी चुप्पियाँ भी कुछ बताती हैं मुझको।

'जीआर' की ग़ज़ल तेरे नाम लिखी है,
तेरी ही मोहब्बत आज चलाती हैं मुझको।


लेखक
जी आर कवियूर
24 11 2024

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