तेरे बिना ये ज़िंदगी अधूरी लगती है
हर घड़ी अब तो दर्द की दूरी लगती है।
चाँदनी रातों में अंधेरा घिरा हुआ है,
तेरे बिन हर रात अधूरी लगती है।
बहारों का हर रंग फीका-फीका है,
तेरे बिन ये दुनिया अधूरी सी लगती है।
सावन की फुहारें भी आहें बन जातीं,
तेरा नाम ले हर धड़कन रुकी लगती है।
सुबहें भी अब उजालों से महरूम हैं,
तेरे बिन हर खुशी बेमक़सद सी है।
जी.आर. कहे, कि तुमसे संबंधित
हर बात मेरी पहचान बन गई।
जी आर कवियूर
28 11 2024
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