ख़ामोशियों के पल ( गजल )
ख़ामोशियों के पल हैं, बीते दिनों की याद में
तुम आ भी जाओ कभी, मेरी तन्हाई के साथ में
हर शब उदासियों का आलम है दिल पे छाया
सिहरते हैं ख़्वाब सारे, तेरी हर इक बात में
कभी महसूस करो तुम, दिल के इस सन्नाटे को
लबों पे चुप की चादर, है दर्द की बरसात में
तुम्हारी राहों में जो बीते थे वो पल अब भी
कहानियों से बिखरे हैं, मेरे खामोश जज़्बात में
ये 'जी.आर.' की दास्तान, है बस तुमसे ख़ास यूँ
लिख दी हर याद मैंने, इस ग़ज़ल की जात में
जी आर कवियूर
08 11 2024
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