Wednesday, November 13, 2024

बेनकाब करूं कैसे ( गजल )

बेनकाब करूं कैसे ( गजल )


बेनकाब करूं कैसे तेरे घमंड को,
बेनामी हूं तो भी शायर तो हूं।

तेरे ख्वाबों में डूबा रहा हर पल,
सच कहूं तो अब तक वही जो हूं।

रातों को तेरे इंतजार में जगा,
तेरे बिना तो कहीं भी नहीं हूं।

दिल में तेरा ही असर तो है,
तुझसे दूर भी फिर मैं कहां हूं।

तेरे बिना अब इस दुनिया में,
अपने साए के सिवा और क्या हूं।

इश्क़ में बिखरी हैं मेरी खुशबू,
मगर न तुमसे कम, न ज्यादा हूं।

मौजूदगी तेरी ही है, जो मुझे ये रास्ता दिखाए,
और 'जी आर' अब खुद को तेरे बिना अधूरा सा पाए।

जी आर कवियूर
14 11 2024

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