तुझे दिल में बसा के मैंने
रातों की निंदिया बिगड़ी।
फासले बहुत भी हों लेकिन,
बंद आंखों में तू करीब नज़र आए।
तेरे बिना ये ज़िंदगी अधूरी,
हर घड़ी बस तेरा ही ख़्याल आए।
इश्क़ के रंग में रच गए हैं लम्हे,
तेरे साथ बिताए जो याद आए।
ग़म का भी मौसम सुहाना लगे,
तेरी मोहब्बत का असर तो देख।
हर साज़ पर अब तेरा नाम गूंजे,
इस दिल की तड़प को कोई तो देख।
ख़ुदा से बस यही दुआ करता हूं,
मेरा दिल तेरा हर घाव सह पाए।
'जीआर' के अल्फ़ाज़ों में है तेरा ही ज़िक्र,
तेरी चाहत में ये ग़ज़ल रंग लाए।
जी आर कवियूर
27 11 2024
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