Thursday, November 14, 2024

चांद जैसी तेरी मुस्कान ( गजल )

चांद जैसी तेरी मुस्कान ( गजल )


चांद जैसी मुस्कान है तेरे होंठों पर,
नज़र की ये गहराई मुझे खींच रही है।
काजल की रेख में बसी हैं रातें,
मेरे दिल में कविता सी जाग रही है।

हंसी में तेरे छिपा है एक जादू,
जो खुशबू की तरह छू जाती है मुझे।
सजदा करने को जी चाहे हर पल,
ख्वाबों का तू साज बन जाती है मुझे।

तेरी आहट से महके ये फ़िज़ा,
बातों में तेरी शाम का नशा।
लबों से उतरती हर एक अदा,
जैसे बहार हो मौसम का मजा।

जीवन के इस सफर में तेरी यादों का असर है,
जी आर ने माना, इश्क़ का अपना एक हुनर है।

जी आर कवियूर
14 11 2024





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