Wednesday, November 20, 2024

"मौसम-ए-इश्क़" (ग़ज़ल)

"मौसम-ए-इश्क़" (ग़ज़ल)

तेरी बेज़ुबान नीयत ने मुझे घायल कर दिया,
चुपके से मेरे दिल का हर कोना खाली कर दिया।

तेरी ख़ामोश निगाहें करती हैं बातों का जादू,
हर पल में मेरे वजूद को सवालों से सवाली कर दिया।

ख्वाबों में तेरी सूरत ने कैसा असर कर दिया,
सांसों के हर धड़कन को बेचैन और मतवाली कर दिया।

तुझसे मिले बिना भी जी रहा हूं उम्मीदों का सफर,
तेरे प्यार ने मुझे एक कहानी खूबसूरत-मिसाली कर दिया।

हर शेर में बस तेरा ही ज़िक्र है, ऐ मेरे सनम,
शायर "जी.आर." ने गज़ल को तेरे नाम से खुशहाल कर दिया।

जी आर कवियूर
21 11 2024

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