चमके तेरे चेहरे से, चाँद को शर्माने को।
हवा में है महक सी, तेरी खुशबू की तरह,
फूल भी झुकते हैं, तेरी हर एक अदा पर।
तू आई जैसे बहार, गुलशन में खिल गई,
तेरी झलक से ही तो, ये दुनिया सजी-संवरी।
तेरी मुस्कान में जैसे, कोई जादू बसा हो,
हर नजर ठहर जाए, तेरा दीदार पाकर।
तू शायरी की तरह, हर लफ्ज में उतरी है,
दिल में बसी, जैसे तुम ही शायर की ख्वाब हो।
जी आर कवियूर
11 11 2024
No comments:
Post a Comment