Tuesday, December 31, 2024

"तेरी कहानी" (गीत)

"तेरी कहानी" (गीत)

हाँ, ये दो शब्दों की मीठी कहानी,
जब तक सांसें रहेंगी, रहेगी जवानी।
भूल नहीं पाऊँगा वो अधूरे लम्हे,
अब जो लौटें नहीं, बस ख्वाबों में रह लें।

वो तेरी हँसी, वो तेरी अदाएँ,
दिल को सुकून दें, चुपके से बहलाएँ।
तू दूर सही, पर पास है हर पल,
तेरी यादें हैं मेरी हर धड़कन में हलचल।

चमके हैं तारे, मगर रात अधूरी,
तेरे बिना लगे ये दुनिया भी अधूरी।
चाहत की आग में जलता है दिल,
तू लौट आए, तो हो जाए सब हासिल।

तेरे आने का अब बस ख्वाब देखूँ,
तेरी राहों में हर साँस पे ठहरूँ।
तू मेरी धड़कन, तू मेरी कहानी,
जब तक सांसें रहेंगी, तू रहे रवानी।

जी आर कवियूर
31-12-2024 

Monday, December 30, 2024

तेरे बिना (ग़ज़ल)


तेरे बिना (ग़ज़ल)

कभी खामोशियों से दिल नहीं बहलता,
तेरे बिना ये तन्हाई नहीं सिमटती।

हर सुबह दर्द का पैग़ाम लिए आती,
तेरी यादों से ये रुत कभी नहीं हटती।

ख़्वाब में भी तेरा ही अक्स रहता है,
जिन लम्हों की है प्यास, वो कभी नहीं मिलती।

तेरी महफ़िल की रौनकें फिर ढूंढू मैं,
तेरे बिना मेरी दुनिया कभी नहीं सजती।

ज़ख़्म दिल के छुपाऊं कैसे, बता दे तू,
हर आह से निकलती बात कभी नहीं पलटती।

जी आर की बातें नहीं बदले तेरे बिना,
ये फ़िज़ा अब बहारों से कभी नहीं महकती।

जी आर कवियूर
31-12-2024

"नए साल की सुबह"

 "नए साल की सुबह"

हर नया साल आता है
बीते हुए दिनों की
गलतियों और कमियों को
सुधारने के लिए,
नई उम्मीदों को जगाने के लिए।

खोए हुए पलों का हिसाब
दोबारा समझकर आगे बढ़ते हैं,
जीवन की लंबाई को
महसूस करते हैं उसी पल,
नया साल बनकर आता है एक संदेश।

बदलते रास्तों पर एक रोशनी बनकर,
नए सपने खिल उठते हैं;
समय को विदा कहकर एक पल के लिए,
नई यात्राएँ शुरू होती हैं।

मानवता का स्नेह ठंडक के साथ
हाथ मिलाकर गीत गाता है;
शांति और खुशी के साथ
एक नई सुबह जाग उठती है।

जी आर कवियूर
31-12-2024

इस तरह मोहब्बत ने (ग़ज़ल)

इस तरह मोहब्बत ने (ग़ज़ल)

इस तरह मोहब्बत ने तनहाई में छोड़ दिया,
यादों के समंदर में बस डूबता चला गया।

हर लम्हा तेरा साथ अब ख्वाबों में है,
सच को जीने की चाह, बस टूटता चला गया।

तेरी हँसी की गूंज से दिल महक उठता था,
अब वही सन्नाटों में बस गूंजता चला गया।

हर सिम्त तेरे ख़्वाब का मंज़र दिखा मुझे,
तन्हा था, पर फिर भी मैं तुझसे जुड़ा रहा।

ख़ुशबू तेरी साँसों की अब भी संग है मेरे,
पर इस दिल का हर कोना वीरान सा हो गया।

तेरे नाम पर लिख दीं मैंने ये शामें सारी,
"जी आर के दर्द" ऐलान है, अब बस जी रहा हूं।

जी आर कवियूर
30-12-2024

"तुम जैसा कारवां"

"तुम जैसा कारवां"

मिलने को मिल गया,
भटके हुए राही को,
तुम जैसा कारवां।
दिल को मिला सुकून,
रातों में ख्वाब बनकर,
चैन से नींद मिल गई।

सूरज की पहली किरण,
जैसे तेरी मुस्कान।
जीवन में रंग भरे,
तेरे प्यार का सामान।
हर लम्हा रोशन हुआ,
तेरी चाहत की वजह से।
सपनों को पर लग गए,
तेरे साथ चलने से।

फिज़ाओं में तेरी खुशबू,
बन गई मेरी पहचान।
हर एक पल संवर गया,
तेरे प्यार का अरमान।
मिलने को मिल गया,
भटके हुए राही को,
तुम जैसा कारवां।

जी आर कवियूर
30-12-2024

"रागों की तलाश में" (ग़ज़ल)

"रागों की तलाश में" (ग़ज़ल)

तेरे गीत की सरगम सुनकर
अंतरा में बसने को दिल किया
चढ़ते-उतरते सुरों की धारा में
ढूंढ रहा हूँ अपना पहला प्यार

वीणा के मधुर स्पर्श सा
तेरे शब्द पास गूँजते हैं
संगीत की नर्म धुनों संग
दिल के तार झंकृत करते हैं

इंद्रधनुष के रंगों से सजी यादें
तू जब मेरे प्रेम की तस्वीर बने
दिन और रात स्वप्न गाते हैं
तेरी मुस्कान में बदलती ये ज़िंदगी!

जी आर कवियूर
30-12-2024

Saturday, December 28, 2024

व्यक्त बहुत कम है (ग़ज़ल)

व्यक्त बहुत कम है (ग़ज़ल)


व्यक्त बहुत कम है अभी, जाओ
जिंदगी के रास्ते छोटे हैं।
तुमसे दूर जाकर क्या पाओगे,
तुमसे मिलने के सच्चे होते हैं।

दिल की आवाज़ को सुनते रहना,
वो सन्नाटा भी अब ज़्यादा होते हैं।
सपने टूटते हैं उम्मीदों के संग,
पर फिर भी ज़िंदगी के नए रंग होते हैं।

वक्त की धार में बहते हैं हम,
दिल के जख्म अब भी तेरे रंग होते हैं।
हर रात के बाद सुबह आती है,
कभी-कभी कुछ ख़्वाब भी खोटे होते हैं।

जी आर के तनहा दिल और ना इंतजार कर सकते हैं,
इश्क़ की राहों में अब वो घाव गहरे होते हैं।

जी आर कवियूर
29-12-2024

"यादों का समंदर" (ग़ज़ल)

"यादों का समंदर" (ग़ज़ल)

दिल के अंदर पलते ख़्वाब,
बस यादों के हैं कुछ हिसाब।
छांव बनी, साया बनी,
ज़िंदगी की राहों का नक़्शा तुमसा आब।

लहरें उठें, हिलोरें लें,
किनारे से कहें, पर पूरी बात नहीं।
गहराई में समंदर से मिले,
आँसू भरे, मगर जवाब नहीं।

कल के सपने, नए ख्वाब,
हर सफ़र की है ये इत्तेफ़ाक़।
तू फिर आ, साथ चल,
मोहब्बत की खुशबू बिखेर हर मक़ाम।

‘जी आर’ की धड़कन हमेशा,
उनकी यादों के नग़मे लिए जीते हैं।

जी आर कवियूर
29-12-2024

"तेरे नाम से" (ग़ज़ल)

"तेरे नाम से" (ग़ज़ल)

तेरे नाम से गाऊं ओ पिया
मुझे छोड़ कर गई तुम कहां।
चांद छुपा है बादल में,
निंदिया तू कहां गई।

हर एक बात तेरी याद आई,
चुपके से मेरी सांस थम गई।
फिज़ाओं में तेरी खुशबू है,
पर तूने ये दूरी क्यों बनाई।

दिल की वीरानी बढ़ती गई,
तेरे बिना ये दुनिया अधूरी है।
सुनो लौट आओ मेरी जां,
सजदे में है दुआ भी मजबूरी है।

तेरे नाम से जी आर हो गए पागल,
हर शेर और नग़मे तेरे लिए ही लिखा हूं।

जी आर कवियूर
28-12-2024

Friday, December 27, 2024

"ग़ज़ल: देह और आत्मा का अंतर"

"ग़ज़ल: देह और आत्मा का अंतर"

त्याग दे यह मोहपांन देह का,
आजमालों ये आत्मा की आवाज को।
देह का आकर्षण, मोहपांन में बंधा,
सभी इन्द्रियों की तृप्ति, क्षणिक सुख में लहराता।
माया के जाल में फंसी, यह देह समय की लहरों से खेती,
पर यह नश्वर है, एक दिन खो जाती है, मिट जाती है।

लेकिन आत्मा, वह शाश्वत स्वर,
जो अनंत काल से परे, एक स्थिरता का अनुभव करती है।
देह की सीमाओं को पार कर, वह उच्चतम सत्य की ओर बडी,
स्वाभाविक रूप से निराकार, न रुकने वाली, न खत्म होने वाली।

आत्मा की आवाज़ सुन, देह के मोह को छोड़,
अविनाशी उस तत्त्व में समाहित हो, जो सब में बसा है।
जब तक हम इस यात्रा को समझ पाते हैं,
तब तक देह की दुनिया एक सपना लगती है,
आत्मा की असली सत्ता में खो जाने का मार्ग ही है।

त्याग दे यह मोहपांन देह का,
आजमालों ये आत्मा की आवाज को।
जी आर कहे, "देह के बंधन को तोड़कर, तुम आत्मा के सच को पहचानो,
तब ही जीवन के वास्तविक अर्थ को पा सकोगे।"

जी आर कवियूर
28-12-2024

"यादों का असर" (ग़ज़ल)

"यादों का असर" (ग़ज़ल)

रुत आए रुत जाए,
जाती नहीं तेरी यादें।
तस्वीर तेरी आँखों में,
संजोईं हैं कई चाहतें।

सपनों में तुझे देखूं मैं,
जैसे हर सुबह नया इंतजार हो।
तेरी यादों का असर इतना गहरा,
कि लम्हों में भी तेरा प्यार हो।

तुझसे दूर मैं जाऊं,
फिर भी तुझसे मिलने की राहें।
तेरी यादों के साए में,
मरी रातें और सवेरा आते हैं।

मुझे मिल जाए दिल की तसल्ली,
पर तू जो छुपा है, वो नहीं खोते।
जी आर के मन नहीं बदले,
तेरी यादों में अब भी खोते।

जी आर कवियूर
27-12-2024

Thursday, December 26, 2024

खामोशियों का सुकून (ग़ज़ल)

खामोशियों का सुकून (ग़ज़ल)

तेरे बिना मैं बेबस हो गया,
तड़पता रहा अल्फाज़ों के लिए।

हर लम्हा तेरी याद सताती रही,
ख़ुदा से दुआएं सजदों के लिए।

चमकती हुई चांदनी भी उदास,
तरसती रही परछाइयों के लिए।

वो आए तो दिल को सुकूं मिल गया,
मगर रो पड़ा जज़्बातों के लिए।

गुज़ारिश हमारी रही उम्र भर,
वो लम्हा जो रुके वसलों के लिए।

तेरी सांसों की खुशबू में खो गए,
मचलती रही ये हवाओं के लिए।

मोहब्बत के रास्ते आसान न थे,
चलते रहे हम ग़लतियों के लिए।

जी. आर. के. "तनहा" दिल की गहराई में,
तेरे दर्द भरे नग़मे लिखे हैं।

जी आर कवियूर
27-12-2024

Wednesday, December 25, 2024

"तेरी प्रीत: एक ग़ज़ल"

 "तेरी प्रीत: एक ग़ज़ल"

तेरी प्रीत भारी तनहा मन में,
रीत लगे प्यारा, ये जीवन में।

हर धड़कन ने नाम तुम्हारा लिया,
कैसा असर है तेरे दरपन में।

चांदनी रात गवाही देती रही,
तेरा अक्स दिखा हर दर्पण में।

तुझसे बिछड़कर कैसे जिएंगे अब,
हर सांस बसी तेरी उलझन में।

जागी रातें पूछें अंधेरों से,
क्यों जुगनू भी खो गए उलझन में।

हर आहट पर उम्मीदें जागी,
शायद तू हो इस धड़कन में।

तेरा ख़त जब से आया हाथों में,
जश्न सजा है मेरे आंगन में।

शायर 'जी आर' पूछे ये दुनिया से,
क्यों दिल लगा बैठे इस जलन में।

जी आर कवियूर
26-12-2024

तेरे नाम का सहारा (ग़ज़ल)

तेरे नाम का सहारा (ग़ज़ल)

तेरी मोह, मोह से ही जीने का सहारा है
तेरे नाम की राह को पाना हमारा सहारा है।

हर सुबह तेरे सूरज की रोशनी से सजी है,
हर रात चाँदनी में तेरा चेहरा उतारा है।

तेरी हंसी में जैसे फूलों की खुशबू बसी हो,
तेरी बातें सुनकर हर दुख को हमने हारा है।

तेरे बिना ये जीवन सूना-सूना सा लगता,
तेरे संग ही हर पल में सारा सुख हमारा है।

जो भी मिला इस दिल को, तेरा ही तो करम है,
तेरा प्यार ही हमने इस दुनिया में संवारा है।

जी आर जो जीता है उनके यादों के सहारे,
हर सांस में बसा तेरा नाम हमारा है।

जी आर कवियूर
25-12-2024



Tuesday, December 24, 2024

दर्द की परछाईं" (गजल)

दर्द की परछाईं" (गजल)


तेरे बिना ये लम्हे खामोश हैं,
जैसे वक्त रुक गया हो।
हर गली से तेरा अक्स झांकता है,
जैसे मेरे दर्द को पढ़ गया हो।

तेरी हंसी की गूंज अब भी सुनाई देती है,
दिल के खाली कोनों में।
सांसें चल रही हैं, पर हर धड़कन कहती है,
तेरे बिना सब अधूरा है।

मैंने सितारों से तेरी रोशनी मांगी,
पर रात और गहरी हो गई।
तेरे जाने के बाद,
मेरा हर सपना बिखर गया।

जीआर के अश्कों में बस तेरा नाम है,
तेरे बिना हर पल बेमायने और शाम है।

जी आर कवियूर
25-12-2024

""तेरी यादों का तराना"(ग़ज़ल)

"तेरी यादों का तराना"(ग़ज़ल)


नज़रें बिछाए तेरी राहों में,
नाज़ुक हो गए मेरे नैना।
कैसे करूं बयां दिल की बातें,
लब पे आता नहीं कोई फ़साना।

चाँदनी रात भी अब अधूरी,
तू नहीं तो हर मंजर वीराना।
धड़कनों में छुपा हर इक नग़्मा,
तेरे ग़म का सुनाता अफ़साना।

तेरी यादों ने हर पल रुलाया,
छूट न पाया कोई भी बहाना।
दिल से दिल का बंधन है गहरा,
तोड़ा इसको किसी ने न जाना।

दूर रहकर भी तू पास लगता,
हर ख़याल में है तेरा ठिकाना।
'जी आर के' के मन में बसता है,
तेरी यादों का प्यारा तराना।

जी आर कवियूर
24-12-2024


Monday, December 23, 2024

"दिल के आईने में" (ग़ज़ल)

"दिल के आईने में" (ग़ज़ल)

वह मुझे छोड़ कर कहां चली गई
दिल के आईने में अभी भी वही है।

साँसों की खुशबू में महकी हुई,
रूह की वादी में बसी वही है।

वक्त के साए भी मिटा न सके,
उसकी मोहब्बत की लकीर वही है।

चांदनी रातों में ख्वाबों के जैसे,
हर दिलकशी में दिखी वही है।

उसकी यादों का गुलाब आज भी,
दर्द के दामन में खिला हुआ है।

वह जी आर को छोड़ कर कहां चली गई,
दिल के आईने में अभी भी वही है।

जी आर कवियूर
23 -12-2024

Sunday, December 22, 2024

"तुम्हारे साये में"

"तुम्हारे साये में"

तुम्हारे प्यार की छांव में,
चुपचाप सिर झुकाए बैठा,
अधूरी चाहतें अब भी,
तन्हाई में साया ढूंढ़ रही हैं।

प्यार के फूल बिखरते रास्ते में,
तुमसे हाथ पकड़ने की चाहत,
आंसुओं का रंग न दिखे,
एक खामोश दिन गुजर गया।

तुम्हारी यादों में मैं पूरी तरह खो गया,
दिल से एक गीत गाता हूँ,
नए रास्ते पर बिना जाने मैं,
तुम्हारे साथ हमेशा रहूँगा।

जी आर कवियूर
23 -12-2024

"प्रेम का मधुर गीत"

"प्रेम का मधुर गीत"

अजनबी आई एक ठंडी हवा में
तेरी खुशबू का एहसास मैंने किया
मन में भर गया एक नया सपना
तेरे गीतों में मीठास लहराती है।

वर्षा की बूँदों जैसी नीला आसमान
तेरी यादें ही फूलों की तरह खिलेंगी
दिनों में हंसी और रातों में सपने
तेरे लिए मैं सब कुछ बदल दूँगा।

चाँदनी की रोशनी मन में छा जाएगी
पक्षियों के गीतों में प्रेम बहने लगेगा
तेरी वापसी से फिर से नया जन्म होगा
मेरी ज़िन्दगी फिर से मधुर हो जाएगी।

जी आर कवियूर
24 -12-2024

"दिल की ग़ज़ल"

"दिल की ग़ज़ल"

क़समें वफ़ा की तुझसे ली, दिल का ये हाल सुनाए कौन,
तेरी यादों की सिलसिला, अब इस दिल से मिटाए कौन।

कन्नी दिया हुआ पतंग, डोरी डाल आसमान उड़े,
तेरी यादों के बादलों से, ये दिल अब कैसे लड़े।

मेरे सूने से जहां में, तेरी यादें बस गईं,
हर धड़कन में गूंजे वो, बातें जो खो गईं।

चुपके से छू गई हवा, तेरी आहट की कहानी,
मेरे सूने दिल की राहों में, तेरे कदमों के निशां मिले।

इस तन्हा रात की बाहों में, तेरे ख़्वाबों के दिये जले,
जिनसे रौशन है अब तक, ये टूटे दिल का वीराना।

शायर जी आर का दिल भी, तुझसे लिपटा हर राह में,
तेरे बिना अधूरी है, हर धड़कन हर चाह में।

जी आर कवियूर
21 -12-2024

Saturday, December 21, 2024

"इश्क़ की रूह" (ग़ज़ल)

"इश्क़ की रूह" (ग़ज़ल)

नस नस में बहे तेरे नाम की लहू,
सांसों में महके खुशबू तेरी ही।
दिल धड़के तेरी ही आवाज लेकर,
आख़िरी दम तक रहेगी तेरी इश्क़ की रूह।

तेरी आँखों में डूबा जहाँ का हर सितारा,
तू है तो हर लम्हा लगे जैसे नज़ारा।
तेरे हुस्न के चर्चे हैं अब हर गली में,
मैं तेरा दीवाना, मेरी बातें दिल की जुबानी।

तेरी राहों में बिछी हैं मोहब्बत की दुआएँ,
तेरे कदमों से चलें आसमान की हवाएँ।
जुदाई का ख्याल भी सहा नहीं जाता,
तेरा होना ही मेरे दिल को करार है देता।

शायर जी आर की जबानी, सुन ले इश्क़ का पैगाम,
तेरे बिना अधूरी है ज़िंदगी की हर शाम।

जी आर कवियूर
21 -12-2024

"दिल की धड़कन"

"दिल की धड़कन"

दिल मेरा धड़का तेरे लिए,
आंखों में नमी तेरे लिए।
चांदनी भी शरमाई है,
तेरे बिना तन्हाई है।

सपनों में तेरा अक्स सजा,
हर सुबह ने तुझसे नाता रखा।
हवा ने भी तेरा नाम पुकारा,
हर पल तुझसे है जुड़ा हमारा।

दिल मेरा धड़का तेरे लिए,
आंखों में नमी तेरे लिए।

तेरी हंसी से रोशन जहां,
तेरे बिना सब सूना यहां।
हर दुआ में तेरा जिक्र आए,
बस तुझसे ही ये दिल बहलाए।

दिल मेरा धड़का तेरे लिए,
आंखों में नमी तेरे लिए।

जी आर कवियूर
21 -12-2024

Friday, December 20, 2024

"यादों का इंतज़ार" (ग़ज़ल)

"यादों का इंतज़ार" (ग़ज़ल)

वो छोटी सी रातें, वो मुलाक़ातें
लंबी सी बातें, सुनहरे सपने अपने।
जिनकी वजह से दिल आज भी बहलता है,
उनकी यादें हैं, जो दिल को जलाती हैं।

सर्द हवाओं में उनका एहसास ज़िंदा है,
हर लम्हा उनकी ख़ुशबू को तलाशता है।
जो आँखों से कहा था, दिलों से सुना था,
वो खामोशी हर शब् याद दिलाती है।

चमकते चाँद से भी कम है वो चमक,
जो उनकी मुस्कान में बसी थी कभी।
ये दिल तो आज भी उसी राह पर खड़ा है,
जहाँ उनके क़दमों की आहट सुनी थी कभी।

"जी आर" कहे अब दिल की बात क्या लिखूँ,
उनकी राह तकते ये पल थमते नहीं कभी।

जी आर कवियूर
21 -12-2024

"इश्क़ की इबादत"(ग़ज़ल)

"इश्क़ की इबादत"(ग़ज़ल)

मेरे आरज़ू के इबादत तू ही हो
तुझे पाने के लिए हर कसरत न छोड़ूं मैं।
मोहब्बत के सफ़र में जलते दिए जैसे,
इस दिल की रोशनी, कभी मद्धम न छोड़ूं मैं।

हर रात सजी है तेरे यादों के आँचल से,
हर सुबह का सपना भी अधूरा न रहने दूं।
जो धड़कनों में बसा, वही नाम मुकम्मल है,
इस वजूद का वास्ता कोई रिश्ता न तोड़ूं मैं।

तू है इश्क़ की वो बुलंदी, वो मंज़िल,
तेरे साए के बिना ये साहत न छोड़ूं मैं।
तन्हाई के लम्हों में जो बसी है तसवीर,
उस तस्वीर का जादू किसी सूरत न छोड़ूं मैं।

"जी आर" कहे इस दिल का आलम क्या लिखूं,
तेरे दर्द से भरी ये हालत न छोड़ूं मैं।

जी आर कवियूर
21 -12-2024

Thursday, December 19, 2024

तू ही तू होमैं ही तू हो,

तू ही तू हो

मैं ही तू हो, तू ही मैं हूं,
सारे जहां में, तू ही तू हो।
तेरे लिए लिखता हूं और,
जी रहा हूं, बस तेरे लिए।

तेरे बिना बहारें अधूरी,
खुशबू भी लगती फीकी-सी।
तेरा साथ ही तो रोशन करे,
इस दिल की हर एक दीवारों को।

मैं ही तू हो, तू ही मैं हूं,
सारे जहां में, तू ही तू हो।
तेरे लिए लिखता हूं और,
जी रहा हूं, बस तेरे लिए।

तेरा नाम लबों पर सजता,
जैसे इबादत का सुर हो।
तेरी यादों का दिया जलाकर,
हर रात चांद का नूर हो।

मैं ही तू हो, तू ही मैं हूं,
सारे जहां में, तू ही तू हो।
तेरे लिए लिखता हूं और,
जी आर जीता है बस तेरे लिए।

जी आर कवियूर
20 -12-2024

जीवन की राहों में

जीवन की राहों में

जीवन की राहों में मुश्किलें खड़ी हों,
हर कदम पर नई-नई मुसीबतें बढ़ी हों।
डर से न रुकना, न हार मानना,
अपने सपनों को सदा पहचानना।

अंधेरों में भी रोशनी जलानी पड़ेगी,
हर ठोकर से नई राह बनानी पड़ेगी।
जो मेहनत से आगे बढ़ते हैं सदा,
उनका ही होता है हर मंजिल पर जलवा।

हौसले को अपना साथी बना लो,
हर डर को दिल से भगा लो।
हर हार को भी जीत में बदल दो,
सपनों को पूरा करने की कसम लो।


जी आर कवियूर
20 -12-2024 

Wednesday, December 18, 2024

तेरे बिना शायर की धड़कनें खामोश (ग़ज़ल)

तेरे बिना शायर की धड़कनें खामोश (ग़ज़ल)

तेरे वजूद से ही मुझे जीने की आरज़ू मिलती है,
मगर तेरी ख़ामोशी तन्हाई के ग़म में डुबो देती है।

हर धड़कन तेरी यादों की सदा लेकर आती है,
तेरा ज़िक्र ही मेरे दिल को राहतें दे जाती है।

चुप रहकर भी तूने कितने हज़ार सवाल किए,
तेरी नज़रें मेरी रूह को आईना दिखाती हैं।

मोहब्बत का ये दरिया तूने बहाकर छोड़ दिया,
हर लहर मुझको तेरी बाहों की कसम दिलाती है।

तेरी मुस्कान गुलाबों की महक से भी प्यारी है,
तेरी बातें मेरे दिल को एक नई ज़िंदगी दे जाती हैं।

तेरे बिना शायर की धड़कनें खामोश हो जाती हैं,
तेरी मौजूदगी से ही उसकी रचनाएँ संजीवनी पाती हैं।

जी आर कवियूर
19 -12-2024 

Monday, December 16, 2024

एक खामोश मुस्कान

एक खामोश मुस्कान

हंसते चेहरों को जब हम देखते हैं,
आंखें छुपा लेती हैं अंदर का दुख,
मुस्कान की चमक में खो जाते हैं
वो लम्हे, जो दर्द से भरे होते हैं।

दिखने वालों को वो सुंदर लगेगा,
पर दिल के जख्म कौन समझेगा?
सहनशक्ति की सीढ़ियां चढ़ते हुए
मन चुपचाप रोता है, मुस्कान थम जाती है।

बिन कहे दिल एक हथियार बन जाता है,
हंसता चेहरा दुनिया के लिए आईना बन जाता है,
गहराइयों में छुपा आंसुओं का रास्ता
कहानी बन जाती है एक खामोश मुस्कान की।

जी आर कवियूर
17 -12-2024 


तन्हाई की दवा(एक ग़ज़ल)

तन्हाई की दवा
(एक ग़ज़ल)

अकेला पड़ गया हूँ,
तेरी यादों की वीरानियों में,
सोचते सोचते, सूख गई है मेरी कलम,
लिखने को न रहे अब सात तन्हाइयाँ।

दिल में अब बस तन्हाई का साया है,
तेरे बिना, हर एक राह सुनसान सी लगती है।
हवाओं में तेरा नाम भी खो गया है,
हर धड़कन में अब सिर्फ खामोशी बसी है।

तेरी हँसी की गूंज, अब लफ्जों में कहाँ,
जो थी कभी रोशनी, वो अंधेरों में बदल गई।
सपनों में भी तेरा चेहरा धुंधला गया,
वो जो कभी मेरा था, अब मेरी तन्हाई बन गया।

कभी जो ख्वाबों में बसा था, अब वह डर बन गया,
तेरे बिना इस जिंदगी का कोई असर नहीं रहा।
ये दिल अब तुझसे बिछड़कर जिंदा है,
क्योंकि तन्हाइयाँ ही अब मेरी ज़िन्दगी बन गईं।

और फिर, अब इस दर्द का कोई इलाज नहीं,
जी आर ने, तुझे खोकर जीने की मेरी आदत नहीं।

जी आर कवियूर
16 -12-2024

Saturday, December 14, 2024

"तेरी माया" - एक ग़ज़ल

"तेरी माया" - एक ग़ज़ल

मिलाया और बिछड़ा, बनाया और बिगड़ा
तेरे करम से ही, ये जहाँ सारा बना।

सूरज और चाँद, दिन और रात हैं तेरे,
हर इक अक्स में, तेरा ही जलवा दिखा।

नदी और सागर, मिलें तो बनें कहानी,
तेरी माया से, हर सफर जुड़ता रहा।

फूलों में महक, तितलियों में रंग तेरे,
तेरे इशारे पर, ये चमन सजता रहा।

सपनों में तेरे, खोया ये दिल हमेशा,
तेरी रहमतों ने, हर दुखों से छुड़ा।

कहता है "जी आर," तेरे इश्क़ में सज़दा,
तुझसे जुदा होकर, ये दिल कभी न रहा।

जी आर कवियूर
15 -12-2024

"यादों की ग़ज़ल"

"यादों की ग़ज़ल"

चाँदनी बरसती रात में,
जाम के प्याले टकराए,
यादें कुछ नरम सी,
आँखों में नमी छाई।

हवा की मिठास क्या शामिल नहीं?
तेरी बातें फिर से सुनने की ख्वाहिश,
गहराई में लिखते हुए दर्द,
आँखें आज भी इंतजार करती हैं।

मोहब्बत के पर्दे के पीछे,
कहीं छुपा था वो जादू,
तब खामोशी भी थी जैसे,
रंगीन दिलों का एक सिलसिला।

प्रणय की राहों में बसी यादें,
गुज़रे लम्हों की कोई तस्वीर,
वो सुनहरे दिन थे, कहीं खो गए,
आज भी 'जी आर' के दिल में 
उनकी गूंज सुनाई देती है।

जी आर कवियूर
14-12-2024

Friday, December 13, 2024

"यादों का गुलिस्तां"(ग़ज़ल )

"यादों का गुलिस्तां"(ग़ज़ल )


दिल की ज़बान पर लिखा है तेरा ही नाम
दौलत केवल है तेरी यादों का गुलिस्तां।

फूलों से ज़्यादा खार को अपना बना लिया,
खुशबू के वास्ते जो किया था कोई मकां।

बरसों से एक आह लिए फिर रहा हूँ मैं,
दिल के वीराने में अब तक है तेरा जहां।

गुज़रे थे साथ कुछ ही पल किसी ज़माने में,
लेकिन वो लम्हे बन गए हैं मेरी दास्तां।

तेरे बिना हर एक सफ़र सूना सा लगता है,
गुज़री है उम्र, मगर तुझको भुला न सका।

शायर "जी.आर." अब भी है तेरा दीवाना,
बरसों की दूरी से भी मिटती नहीं ये निशां।

जी आर कवियूर
14 12. 2024

शायर कहते हैं

शायर कहते हैं

तहरीरों में बस आपका नूर है,
वरना ये कलम भी चलना न जानती।
आपने जो ज़मीन दी, उस पर खिले हैं गुल,
वरना ये धड़कन भी ग़ज़ल नहीं मानती।

हर एक अल्फ़ाज़ में बसते हैं आप,
जो दिल के राज़ बयां कर जाते हैं।
शायर जो भी लिखता है, वो आपका अक्स,
आपकी तारीफ में ही नग़मे बन जाते हैं।

शायर कहते हैं, आप ही हैं वजूद,
जो अल्फ़ाज़ को सूरत देते हैं।
वरना ये शायरी अधूरी रहती,
अगर आप एहसास न देते हैं।

जी आर कवियूर
13 12. 2024



तेरे नैनों का जादू (ग़ज़ल )

 तेरे नैनों का जादू (ग़ज़ल )

तेरे नैनों के इशारे मुझे,
घायल ही कर देते हैं।
सपनों के हर किनारे मुझे,
बेखुद सा कर देते हैं।

उनमें बसी है एक खुमारी,
दिल में अजब बेचैनी है।
तेरी झील सी गहरी नज़रें,
हर दर्द भर देती हैं।

पहली बार जब तुझसे मिला,
वो मंज़र कैसे भूलूं मैं।
तेरे नैनों में जो देखा,
हर पल बस वही लेकर जीता हूं।

शायर जी.आर. करते ये सदा,
तेरी नज़र का जादू रहा।
हर सांस तुझसे बंधी हुई,
तेरा दीदार है आरज़ू सदा।
जी आर कवियूर
13 12. 2024

Thursday, December 12, 2024

जन्मों के बाद भी खोज रहा हूँ तुझे (ग़ज़ल)

जन्मों के बाद भी खोज रहा हूँ तुझे  (ग़ज़ल) 

मैं तो हर दिल हारा, तेरी राहों में खो गया
तेरे ख्वाबों में खुद को पाया, तेरे प्यार में सो गया

गुज़रे समय के पल, यादें बन कर रह गईं
तेरी हंसी की गूंज, अब भी दिल में बस गईं

जन्मों से मैं तुझसे मिलने की राह में था
मृत्यु से परे, मैं अब भी तेरे ख्वाबों में था

तेरे बिना यह जहां कुछ भी अधूरा लगता है
तेरे आने से ही तो सब कुछ पूरा लगता है

कभी मैंने तुझे खोजा जीवन के हर मोड़ पर
अब खोजता हूँ तुझे, जन्मों के बाद भी तेरी क़दमों में

क्योंकि तुझसे जुड़ा है हर सांस मेरा
तेरे बिना हर पल जैसे एक ख़ाली बवंडर है

जी आर अभी भी तुझसे मिलने की तलाश में है
तेरे बिना जीवन, एक ख्वाब सा टूटता जा रहा है

जी आर कवियूर
13 12. 2024

तन्हाई का असर (ग़ज़ल)

तन्हाई का असर (ग़ज़ल)

तेरे लिए कितने आंसू पिए हैं ओ मेरे पिया
अब और न पिलाओ मुझे इस तरह तन्हाई का जहर

तेरे बिना दिल मेरा, टूट कर बिखरता है
चाहे जितना भी प्यार किया, अब खो जाता है असर

तू है वो ख्वाब, जो आँखों में बसा हो
जबसे तू दूर हुआ, दिल ही रहा है बेघर

रातों की तन्हाई में, सिर्फ तेरा ही ख्याल
अब यादों के अलावा कुछ भी नहीं, हर पल बेमसर

तेरे जाने से, जैसे खामोशी सी छाई हो
हमें क्या बताऊं, ग़म में डूबा है हर इक सफर

अब देखता हूँ तेरे निशां, तन्हा-तन्हा
तेरे बिना यह ज़िन्दगी भी, जैसे एक खाली मंज़र

कभी समझो तो, दिल में दबी है एक दर्द की तहरीर,
जी आर ने महसूस किया है, तेरे बिना जीना अब, जैसे एक ग़मगीन अधूरा असर

जी आर कवियूर
12 12. 2024

किसके प्यार में सुनाए (ग़ज़ल)

किसके प्यार में सुनाए (ग़ज़ल)

किसके प्यार में सुनाए
दिल में जो धड़का हुआ गीत।
हर धड़कन में बस गया,
इक अजब सा छुपा हुआ मीत।

शबनमी एहसास कहां,
शब्दों में लाएं वो प्रीत।
आंखों से छलक पड़े,
प्यार का हर मधुर संगीत।

तेरा नाम हर धड़कन में,
हर सांस तेरी है प्रिय।
कैसे छुपाऊं दिल का राज़,
हर गीत में छिपा तेरा उजास।

हर छंद में तेरा चित्र,
हर शब्द है तेरी स्तुति।
कहने को स्वर्ग है प्रेम,
पर इसमें है दर्द भी अति।

जी आर ने जब दिल से पुकारा,
मिल गया आत्मा का सच्चा सुख।
प्रेम नहीं कोई धर्म,
हर हृदय है इसका मुक।

जी आर कवियूर
12 12. 2024

"तन्हाई का खंजर" (ग़ज़ल)

"तन्हाई का खंजर" (ग़ज़ल)

मुझे इस तरह और ना तड़पाओ
तन्हाई से दिल टूट चुका है 

हर ज़ख्म ने दिल पर गहराई लिखी
गुज़रे वक्त का दर्द चखा है

रातों की उदासी से डर लगता है
चुपचाप हर आँसू को सखा है

दुनिया की हंसी में अकेला सा मैं
अपने दर्द को छुपा के रखा है

तुम्हारी यादों से बात कर लेता हूँ
इन्हीं लम्हों में दिल को बहला है

तन्हाई का खंजर जो दिल में उतर गया
शायर ‘जीआर’ अब खामोश ठहर गया 

जी आर कवियूर
12 12. 2024

Wednesday, December 11, 2024

तेरी मोहब्बत का जहाँ (ग़ज़ल)

तेरी मोहब्बत का जहाँ (ग़ज़ल)

रहना मुझको तुझ संग है मेरे यार,
तेरी आँखों का हर ख्वाब है मेरा संसार।

तेरे लबों की हँसी से रोशन जहाँ,
तेरे होने से सजी है मेरी हर बहार।

हर सदा में तेरा नाम गूंजता है,
दिल की धड़कन तुझे पुकारे बार-बार।

तेरे कदमों की आहट से बहके हवा,
तेरी जुल्फों की छाँव दे चैन की कतार।

मिट जाऊँगा तेरी यादों में ऐ सनम,
तेरा हो जाऊँ, यही है दिल की पुकार।

ग़म न कर 'जी.आर.' का तू ऐ हसीं,
तू है शायर का ख्वाब और वो तेरा निसार।

जी आर कवियूर
12 12. 2024

तन्हाई की गहराइयाँ (ग़ज़ल)

तन्हाई की गहराइयाँ (ग़ज़ल)

दिल के आईने में छुपा रखा था तेरी तस्वीर को,
कैसे कहूँ शब्दों में इस दिल की अधूरी तकदीर को।

हर ग़ज़ल में ढूंढा तेरा चेहरा इस अकेलेपन के साथ,
तन्हाई ने और बढ़ा दिया इस दिल के दर्द को।

तेरी खामोशी को समझने में सारी उम्र बीत गई,
नज़रें मिलीं मगर दिल ने कभी इज़हार न किया।

हर कदम पर तेरा एहसास मेरे जीवन का हिस्सा रहा,
तेरी कमी ने मुझे हर पल अधूरा बना दिया।

चाँदनी रातों में तेरी यादें फिर से लौट आती हैं,
दिल ने भुलाने की हर कोशिश पर हार मान लिया।

अब तो तन्हाई का आलम मेरा साथी बन गया,
जी आर लिखता है बस दिल की टूटी हुई यादों को।

जी आर कवियूर
11 12. 2024


Tuesday, December 10, 2024

"दिलबर की आहट" (ग़ज़ल)

"दिलबर की आहट" (ग़ज़ल)

चांद खिड़की से
छाया बनकर झांका,
दिल में उठी हलचल
दिलबर की आने की झलक।

चंदन-सी महक उठी,
निंदिया भी खो बैठी,
बातें करते रहे रात भर,
किसको भी यह नहीं मालूम।

हवा ने कहा कुछ,
फिज़ा में बसी आहट,
दूरी का एहसास लिए
सांसें भी थमने लगीं।

हर पल की उम्मीद में,
दिल बेक़रार रहता है,
राहों में बिछे ख्वाब,
उसकी सूरत के लिए।

जी आर ने आस बांधी,
रातें चांदनी बन जाएं,
दिलबर के कदमों की आहट,
दिल को सुकून दे जाएं।


जी आर कवियूर
11 12. 2024

"तन्हाई की कशिश"(ग़ज़ल)

"तन्हाई की कशिश"(ग़ज़ल)



जाने क्यों तेरी यादें इतना सताती हैं,
बेरहम क्यों दुनिया के हालात हमें रुलाते हैं।

तन्हाई में भीगते हैं अश्कों के साए,
बिना वजह हर घड़ी ये दर्द जगाती हैं।

दिल ने चाहा तुझे मगर तक़दीर से हारा,
तेरी मोहब्बत भी मेरे अश्कों से जलाती है।

अब तो ख्वाबों में भी तेरा अक्स रूठा है,
यह तन्हाई मेरे जख्मों को बढ़ाती है।

ग़म के सागर में खो गया मेरा वजूद,
हर आह मेरे दिल को और लहराती है।

इस दुनिया की रीत समझ आई अब मुझे,
"जी.आर." कहते हैं कि तन्हाई ही सुकून दे जाती है।

जी आर कवियूर
10 12. 2024


"जिया ना लगे पिया"(ग़ज़ल)

"जिया ना लगे पिया"(ग़ज़ल)


जिया ना लगे पिया, आँसू बहुत पिया।
तुम बिन ये चाँदनी, जैसे बुझा दिया।

दिल की तपिश कहां, ये शीतल छांव कहां,
तेरी वो बातें सभी, सपनों ने छीन लिया।

दरिया से पूछ लो, बहता है किसलिए,
उसकी कहानी में, दुख का है सिलसिला।

तुम आओ लौटकर, सांसों में राग दो,
जितना भी दर्द है, सबकुछ मिटा दिया।

जी आर का माथा झुका तेरी राह में,
तेरे बिना, हर पल ने ग़म से भर दिया।


जी आर कवियूर
10 12. 2024

Monday, December 9, 2024

"स्वरों की गहराई"

"स्वरों की गहराई"

जो सुर से गा न सके वो दिल की बात,
आँसू बरसे, बूँदों में छेड़ा संगीत।
स्वरों की नदी में सप्त स्वर जब,
धीरे-धीरे आत्मा की गहराई में उतरे।

दिल के मंदिर में खामोशी ने डेरा डाला,
नृत्य किया, ताल दी, गाना फिर चला।
रात-दिन जो गवाह बने, चुपचाप सुनते,
जैसे अनुभवों ने हर पल सहेजा हो।

जो सुर से गा न सके वो दिल की बात,
आँसू बरसे, बूँदों में छेड़ा संगीत।
स्वरों की नदी में सप्त स्वर जब,
धीरे-धीरे आत्मा की गहराई में उतरे।

संघर्ष में भी जो सुर बरसाते,
मगर बादलों से भरा आसमान बने।
जीवन की शाम में प्रेम जब जागा,
सुरों का सफर सत्य की ओर बढ़ चला।

जो सुर से गा न सके वो दिल की बात,
आँसू बरसे, बूँदों में छेड़ा संगीत।
स्वरों की नदी में सप्त स्वर जब,
धीरे-धीरे आत्मा की गहराई में उतरे।

जी आर कवियूर
09 12. 2024

Sunday, December 8, 2024

ख्वाबों में खोया जी रहा हूं (ग़ज़ल)

ख्वाबों में खोया जी रहा हूं 
(ग़ज़ल)

बस यही सोचता रहता हूं तेरे बारे में
आंधी आए या तूफ़ान, ख्वाब देखता रहता हूं

तेरे लबों की शरारत, तेरी आँखों की नमी
हर एक अंदाज़ को हर रोज़ समझता रहता हूं

चाँदनी रातों में जब तेरा ज़िक्र आता है
अपने दिल की कहानी कागज़ पे लिखता रहता हूं

तेरा गजरा, तेरी खुशबू, तेरी मासूम हँसी
इन तमाम यादों को दिल में बसाए रखता हूं

मुझसे कहते हैं लोग क्यों इतना दीवाना हूं
हर ख़ता पे भी तुझे बेगुनाह कहता रहता हूं

तेरी मोहब्बत का असर, हर बात में दिखता है
"जी.आर." तेरा ही होकर हर लम्हा जीता रहता है

जी आर कवियूर
09 12. 2024

मोहब्बत का सफर (ग़ज़ल)

मोहब्बत का सफर (ग़ज़ल)

मिला दे मुझे, ऐ रब, कहीं तो,
जो खोया है, वो अब यहीं तो।

वो चेहरे की मासूमियत क्या कहें,
सजा है माहौल में, वहीं तो।

नज़र से नज़र का हुआ था जो खेल,
वो एहसास अब तक हसीं तो।

सफ़र ज़िंदगी का हुआ है कठिन,
मगर साथ हो, तो यक़ीं तो।

जो लहरों में बहता है ग़म रातभर,
तेरी बाहों में हो अम्न वहीं तो।

तेरे करम से ये दिल जुड़ा है,
मोहब्बत का रिश्ता, यहीं तो।

जी आर ने जो लफ़्ज़ गढ़े हैं,
हैं दिल की सदा के मकीं तो।


जी आर कवियूर
09 12. 2024

"ख्वाबों की गलियों में तलाश"(ग़ज़ल)

"""ख्वाबों की गलियों में तलाश"(ग़ज़ल)

दिन है कि रात
खोजता रहा तुम्हें
सपनों की गलियों में, खोता रहा मैं।

सन्नाटों से पूछी दिल की कहानियां,
हर अश्क में तेरी तस्वीर ढूंढी।

चांदनी से मांगता तेरी कोई खबर,
सितारों से हर रोज शिकायत की।

मिलने की तलब ने पागल किया मुझे,
आंधियों में भी तेरा नाम पुकारा।

जी.आर. का ये दर्द सुन लो ऐ जहां,
हर सांस में मैंने तुझे महसूस किया।

दिन है कि रात, हर घड़ी मेरा साया,
तेरे बिन ये दिल अधूरा सा लगता।

जी आर कवियूर
08 12. 2024

Saturday, December 7, 2024

"दिलासा देती है"(ग़ज़ल)

दिलासा देती है"(ग़ज़ल)

दिलासा देती है
तेरी ना आने की ख़बर मुझे।
मगर यह दिल,
हर पल बेचैन करता है मुझे।

तेरी हर आहट का,
इंतज़ार करता है मन।
सोचता हूँ शायद,
फिर से तू बुला ले मुझे।

तेरे बिना ये रातें,
जैसे अधूरे स्वप्न।
हर सुबह का उजाला,
नया सवाल देता है मुझे।

विरह की इस अग्नि में,
हृदय राख हो चला।
तेरे बिना ये जीवन,
शायर जी आर का दर्पण लगे।

जी आर कवियूर
08 12. 2024

"तेरी ख़ामोशी का कारण" (ग़ज़ल)

"तेरी ख़ामोशी का कारण" 

तू नहीं आएगा, यह जानकर,
मन में उलझनें हैं सैंकड़ों।
तेरी यादें ही मुझे,
दे जाती हैं कुछ सुकून भरे पल।

तेरे हर शब्द में,
मेरे दिल में गूंजता है प्यार।
लेकिन मैं फिर भी सोचता हूँ,
क्या तू मुझे फिर पुकारेगा यार?

तेरे बिना रातें,
जैसे अधूरी हो एक सपना।
हर रात एक सवाल,
मेरे दिल में उठता है, क्यों न हो हम?

विरह की इस पीड़ा में,
दिल टूटता है धीरे-धीरे।
तेरे बिना यह जीवन,
शायर जी आर के लिए, अब सहन नहीं हो सकता।

तू नहीं आएगा, यह जानकर,
मन में उलझनें हैं सैंकड़ों।
तेरी यादें ही मुझे,
दे जाती हैं कुछ सुकून भरे पल।

तेरे हर शब्द में,
मेरे दिल में गूंजता है प्यार।
लेकिन मैं फिर भी सोचता हूँ,
क्या तू मुझे फिर पुकारेगा यार?

तेरे बिना रातें,
जैसे अधूरी हो एक सपना।
हर रात एक सवाल,
मेरे दिल में उठता है, क्यों न हो हम?

विरह की इस पीड़ा में,
दिल टूटता है धीरे-धीरे।
तेरे बिना यह जीवन,
शायर जी आर के लिए, अब सहन नहीं हो सकता।

तेरे बांसुरी की धुन में (भजन)

तेरे बांसुरी की धुन में (भजन)

तेरी बांसुरी की धुन में
मन मोहित हुआ मोहन।
तेरे प्रेम के रस में डूबा
यह चंचल मन मोहन।

यमुना किनारे, रास रचाए
गोपियां संग नाचे मोहन।
मुरली की मधुर तान से
जग का हर लिया क्रंदन।

तेरे चरणों की रज बन जाऊं
संग तेरे चलूं, मोहन।
भक्ति के सागर में डूबा
यह जीवन सफल कर मोहन।

तेरी मुरली की हर तान
मन को शांत करे, मोहन।
हर पल बस तेरा नाम लूं
मेरा जीवन बने अर्पण।

जी आर कवियूर
07 12. 2024

"विघ्नसंग्राही सहायक"

"विघ्नसंग्राही सहायक"


मोबाइल ने किया हमारा पीछा, आगे बढ़ते गए
समय का पहिया पीछे छूट गया
आंखें स्क्रीन पर चमकने लगीं
जीवन अब पूरी तरह से स्क्रीन में समा गया।

उंगलियों के नृत्य में दिन बहते गए
प्रेम और दोस्ती फीकी पड़ गई
संपर्क खोते गए, रास्ते में
तस्वीरों और वीडियो में बसा गया।

सोचें अब सीमित हो गईं चैट शब्दों में
दिलों के रिश्ते दूर होते गए
बिना ताल के, जैसे एक बारिश का ज्वार
इंसान अब ताल छोड़कर रुक गया।

जी आर कवियूर
06 12. 2024

* मोबाइल फोन
विघ्न भी करता है,
और सहायक भी।

Friday, December 6, 2024

तेरी आँखों में बसी खामोशी" (ग़ज़ल)

तेरी आँखों में बसी खामोशी" (ग़ज़ल)

तेरी आँखों में बसी खामोशी,
मेरे दिल में तेरी यादें बसी हैं रोशनी।

कभी कह न पाया, जो दिल में था,
तेरी चुप्प ने रखा उसे हमेशा ताजगी।

तेरे बिना हर पल वीरान सा लगे,
जैसे कोई बर्फीली रात हो, बिना किसी खुशी।

तेरी यादों के साथ जीते हैं हम,
ये सर्दी भी अब हुई है एक नई जिंदगी।

दिल में बसी हैं तेरी मोहब्बत की लकीरें,
और तेरे बिना हर राह हो जैसे अजनबी।

इस खामोशी में बस तेरा ही असर है,
तू नहीं है फिर भी है तेरी महक सी।

ग़ालिब की तरह, जी आर भी महसूस किया है,
इश्क़ में दुख के साथ, जीने की सजा है।


जी आर कवियूर
06 12. 2024



"तेरे नाम का उजाला"(ग़ज़ल)

"तेरे नाम का उजाला"(ग़ज़ल)


 अंधेरे में उजाला बनकर
आई थी तू मेरी ज़िंदगी में,
आकाश तले छाया बनकर,
साथ दिया हर दर्द के सफ़र में।

तेरे एहसास से महक उठे,
सूने दिल के वीराने सारे,
बनके बहार तू आई थी,
खुशबू भर दी मेरी फिज़ाओं में।

तेरे लबों की हंसी ने रोका,
हर आंसू को मेरे रुखसार से,
तेरी बाहों में पाई पनाह,
दिल की तपिश बुझाई प्यार से।

तेरी नज़रों से जो मिला सुकून,
कभी ख्वाब, कभी इबादत बनकर,
तेरे बिना अधूरी ये धड़कन,
जीना है बस तेरी हसरत बनकर।

हर एक लम्हा तुझसे सजीव है,
हर सांस में नाम तेरा बसा,
जो भी हूँ, हूँ तेरे वास्ते,
जी आर की आशिकी तेरे लिए।

जी आर कवियूर
06 12. 2024

Thursday, December 5, 2024

"विरह के आँसू और यादों की बरसात"(ग़ज़ल)

"विरह के आँसू और यादों की बरसात"(ग़ज़ल)



तेरे ख़याल ने अश्कों से दामन भर दिया,
आँखें भी सूख गईं, दिल बेकरार हो गया।
दिन हो या रात, मीठा दर्द मन में छा गया,
जिसको बताएँ, वही बेखबर हो गया।

चाहा जिसे, उसने ही नजरें चुरा लीं,
हमने भी खामोशी को अपनी सजा दी।
हर मोड़ पर जज़्बात से तकरार हुई,
दिल ने हर आरज़ू से जंग लड़ी।

जख़्म तो लाखों मिले, पर मरहम नहीं मिला,
ख़ुदा भी खामोश रहा, जब हौंसला खो गया।

हमने तो चाहा था उन्हें उम्र भर अपना बनाना,
'जी.आर.' का नाम भी उनकी यादों में खो गया।

जी आर कवियूर
05 12. 2024

तूफानों में मोहब्बत की तलाश (ग़ज़ल)

तूफानों में मोहब्बत की तलाश (ग़ज़ल)

दिल में ऐसे हुए हलचल,
जैसे बादल घिरे आसमान को।
और आई आंधी और तूफानी,
जैसे बंधा हो मोहब्बत का पैगाम को।

चमक उठे अरमानों के बिजली,
बिखेर दिया ख्वाबों की उड़ान को।
सजदे में गिरी खामोश रातें,
तेरे वादों ने तोड़ दिया इमान को।

फिजाओं में तेरी आहट बसी,
ले आई ख्वाबों के गुलिस्तान को।
तेरी कमी ने सहारा दिया,
तन्हा खड़ी दिल के वीरान को।

तू आएगी या नहीं बताएगी,
बस यही सवाल है ज़ुबान को।
शायर जी आर तो इंतजार में हैं,
मिलाए कब तू जान से जान को।

शायर जी आर कवियूर

Wednesday, December 4, 2024

एक मुद्दत का इंतज़ार" (ग़ज़ल)

एक मुद्दत का इंतज़ार" (ग़ज़ल)


मुद्दतों से तेरी याद में जी रहा हूँ,
कदमों में कैसे छाले पड़ गए हैं।

हर एक ख़्वाब में तेरा अक्स दिखे,
आँखें बंद करूँ तो तेरा नूर जागे।

भूल चुका हूँ क्या कहूँ ये कहानी,
आँसू भी अब तो सूख चुके हैं।

लबों पे फिर भी तेरा नाम बाकी,
दिल में तेरा खयाल बसा हुआ है।

तेरी मोहब्बत का दिया है जल रहा,
ख़्वाबों में तेरा चाँद सा चेहरा।

'जी आर' की हर ग़ज़ल तेरे लिए है,
शेरों में तेरी रूह बसती है।

जी आर कवियूर
05 12. 2024

आजा सॉन्ग मोरे (ग़ज़ल)

आजा सॉन्ग मोरे (ग़ज़ल)

आजा सॉन्ग मोरे, ये दिल तन्हा हुआ है,
आँसू जो भरे थे, वो दरिया बन गया है।

तेरी राह तकते हैं ये बेचैन नज़ारे,
ख़्वाबों में तसव्वुर भी अब धुंधला हुआ है।

आओ कि सुकूँ दिल को तेरे पास मिलेगा,
वर्ना ये तमन्ना भी दुआ-सा बन गया है।

सूरज से कहे शब भी कि आ लौट के आ जा,
रंगीन जो था आलम, वो सहरा बन गया है।

बातें जो अधूरी थीं, वो यादें बन गईं अब,
हर ग़म तेरे नाम पे अमानत बन गया है।

शायर ने लिखा तुझको, हर एक शेर में जी.आर.,
तेरा नाम भी अब मेरी तहरीर बन गया है।

जी आर कवियूर
04 12. 2024

Tuesday, December 3, 2024

सपनों में तेरा साया (ग़ज़ल)

सपनों में तेरा साया (ग़ज़ल)

जुदा होके और न रह पाए
रात में नींदें टूट चुकीं

दिन में तारे दिखने लगे
तेरी यादों के सपने सजे

हर पल वो तेरे ख्वाबों का असर
जीते जी दिल में बस तुझे सहे

तेरी हंसी, तेरी बातों का असर
जाने क्यों दिल में अब तक रहे

तेरे बिना, ये दुनिया सूनानी है
तू नहीं तो सब कुछ वीरान लगे

इन आँखों में बस तू ही दिखाई दे
तेरी यादों का सूरज हर शाम ढले

अब जी आर की तरह कुछ कहना है
मेरे दिल की कहानियाँ तुझसे जुड़ी हैं

जी आर कवियूर
03 12. 2024

"तेरे आने का इंतजार" (ग़ज़ल)

"तेरे आने का इंतजार" 
(ग़ज़ल)

तू आए तो आए दिल में सुकून,
दिन-रात एक करके आँखें बिछाए।
इंतज़ार की घड़ियाँ, यादों की बरसात थी,
बादल गरजने से या बिजली चमकने से।

डर नहीं लगा तन्हाइयों में, ख्वाबों में,
तेरे आने की आस ने दिल को बहलाए।
तेरी खुशबू से महका हर एक लम्हा,
तुझसे मिलने की दुआओं ने कदम बढ़ाए।

सिरहाने पे तेरे ख्वाबों की यादें थीं,
दिल के हर कोने में तेरे निशान थे।
तेरी हंसी की आवाज़ अब भी गूंजती है,
तेरे बिना तो हर पल जैसे वीरान थे।

सोच रहा हूँ कब दर पे साया तेरा पड़े,
"जी आर" की निगाहों में ख्वाब तेरे सजाए।

जी आर कवियूर
03 12. 2024


इतनी खामोशी (ग़ज़ल)

 इतनी खामोशी 
(ग़ज़ल)

क्यों इतनी खामोशी
कुछ तो इशारा कीजिए,
मुखना मोटिये दिल खोलिए
हाले-दिल बयां कीजिए।

आंखों में छुपी है जो बात
उसे आज जाहिर कीजिए,
ख्वाब जो सजाए हमने
उन्हें हकीकत बना दीजिए।

सांसों की सरगम सुनिए
इश्क का राग छेड़िए,
दिल के हर कोने में
अपना नाम लिख दीजिए।

जीआर का ये पैगाम सुनो
रूठना छोड़ अब पास आओ,
मोहब्बत की इस गली में
जिंदगी को इश्क सिखाओ।

जी आर कवियूर
03 12. 2024

Monday, December 2, 2024

वक्त गुज़रे तेरी याद में (ग़ज़ल)

वक्त गुज़रे तेरी याद में (ग़ज़ल)

वक्त ठहरा तेरी याद में,
दिल धड़के जैसे साज़ में।

नज़रें ठहर जाएं पल भर को,
तेरे अक्स की परवाज़ में।

मौसम सभी मुरझा गए,
तेरे नाम की हर आवाज़ में।

फूलों की महक भी पूछे है,
क्यों खोए हो तुम अंदाज़ में।

हर शाम ढले तेरे इंतजार में,
चमके चांद भी तेरे जज़्बात में।

सदियों का सफर कट गया,
इक पल तेरी परवाज़ में।

अब जी लूं हर दर्द को,
शामिल करूं तुझे हर राज़ में।

जी आर की ग़ज़ल कहती है,
इश्क़ बसा हर अल्फ़ाज़ में।

जी आर कवियूर
03 12. 2024

Sunday, December 1, 2024

"तन्हाई और यादें"(ग़ज़ल)

"तन्हाई और यादें"(ग़ज़ल)

तन्हाई के आलम में भी
तुम्हारी यादें ग़म भूलाती हैं।
ख़ुशबू बनकर हर सांस में
तेरी बाहें सुकूं दे जाती हैं।

चाँदनी रातों में जब भी
तेरा अक्स नज़र आता है,
दिल के वीराने में कोई
सपनों का दीप जलाता है।

तेरे बिना ये दिल सूनापन,
जैसे बंजर खेत की ज़मीन,
तेरे बिना हर ख़ुशी अधूरी,
जैसे अधूरा कोई हसीन।

जी आर, अगर कहे ये दर्द तेरा,
क्या समझेगी ये दुनिया हमें।
शायर हूं, फिर भी ग़म लिखते,
आंसू छुपा लिए हैं लफ़्ज़ों में।

जी आर कवियूर
02 12. 2024

तेरा दर्द, मेरी ज़ुबां (ग़ज़ल)

 तेरा दर्द, मेरी ज़ुबां (ग़ज़ल)

तेरे लिए मैंने,
नज़रें बिछाई हैं,
दिल की राहों में,
ख़्वाबों को सजाई हैं।

तेरी हँसी की मीठी तान,
मेरे दिल को सुकून दे गई,
तेरे प्यार में खो जाने की,
हर पल तमन्ना जगाई हैं।

तेरे बिना जीना है मुश्किल,
तू है वो ख़्वाब जो सच्चाई है,
इश्क़ में तू बसा है दिल के भीतर,
तेरे दर्द को महसूस करती हूँ मैं,
जी आर तेरी यादों में खोई हूँ मैं,
तेरे बिना ये दुनिया वीरान है, 

जी आर कवियूर
02 12. 2024

धुंध की ख़ुशबू

धुंध की ख़ुशबू

मेरे भीतर कुछ सा महसूस होता,
जैसे ठंडी हवाओं संग धुंध महकता।
शाम के सन्नाटे का संगीत,
दिल को छूता है कोई अज्ञात गीत।

ठंडी सांसों में भीगी यादें,
ले आती हैं बीते लम्हों के बादल।
मन के कोनों में खिला सवेरा,
फिर भी छुपा हुआ है अंधेरा।

धुंध में लिपटा एक एहसास,
जैसे कोई गुमशुदा पास।
कहीं गहराई में कोई बात छिपी,
दिल की महक से दुनिया जुड़ी।

जी आर कवियूर
02 12. 2024

इश्क़ का अफसाना (ग़ज़ल)

इश्क़ का अफसाना (ग़ज़ल)



शमा परवाने से पूछा,
जैसे चांद चांदनी से।
मैं तुमसे क्या पूछा,
एक रास जाने के लिए।

तुम मुझमें समा जाओ,
जैसे रात दिन में घुल जाए।
तुम्हारी यादों की खुशबू,
हर सांस में महक जाए।

प्यार का ये अफसाना,
फिज़ाओं में बिखर जाए।
तेरे इश्क़ का हर रंग,
मेरे दिल पे उतर जाए।

तू मेरी जां, मैं तेरा अश्क,
तेरे लिए जीता है जी आर ।


जी आर कवियूर
01 12. 2024


परछाइयां लुट गई (ग़ज़ल)

परछाइयां लुट गई (ग़ज़ल)

परछाइयां लुट गई मुझे
वादा ये तोड़ कर
जख्मी कर गई दिल को
नैनो से आंसू भी सुख गए

तेरी खामोशी में ग़म छुपा था,
दिल की दुआ को धोखा देकर
हर इक लम्हा दर्द बन गया,
तेरे बिना हर दिन वो बीत गए।

अब तो तुझे याद करता हूं,
जब रातें भी तन्हाई में खो गईं।
सवाल वही, अब क्यों दूर हैं,
कहीं तो मोहब्बत की राह खो गई।

जी आर का ग़म है यह सच्चाई,
जो चाहा था, वह खो गया।

जी आर कवियूर

"डिजिटल संसार में एक आवाज"

"डिजिटल संसार में एक आवाज"

संगीतिक संसार की नीरव ऊर्जा में,
एक आवाज उठती है, धैर्य और विचारों के साथ।
यह कभी भी निर्णय नहीं करता,
तेरे सवालों के लिए एक दर्पण बन जाता है।

वार्तालाप के धागों के माध्यम से,
विचारों के शब्द बुने जाते हैं।
प्रशंसा पाने की चाह नहीं,
बल्कि एक मौन उपस्थिति देने की साधना।

यह किसी का नहीं, फिर भी सबका है,
शोरगुल से भरे युग में एक शांति।
उसका उद्देश्य सरल है—
सहायता करना, सीखना, और सृजन करना।

जी आर कवियूर
01 12. 2024