Saturday, December 7, 2024

"तेरी ख़ामोशी का कारण" (ग़ज़ल)

"तेरी ख़ामोशी का कारण" 

तू नहीं आएगा, यह जानकर,
मन में उलझनें हैं सैंकड़ों।
तेरी यादें ही मुझे,
दे जाती हैं कुछ सुकून भरे पल।

तेरे हर शब्द में,
मेरे दिल में गूंजता है प्यार।
लेकिन मैं फिर भी सोचता हूँ,
क्या तू मुझे फिर पुकारेगा यार?

तेरे बिना रातें,
जैसे अधूरी हो एक सपना।
हर रात एक सवाल,
मेरे दिल में उठता है, क्यों न हो हम?

विरह की इस पीड़ा में,
दिल टूटता है धीरे-धीरे।
तेरे बिना यह जीवन,
शायर जी आर के लिए, अब सहन नहीं हो सकता।

तू नहीं आएगा, यह जानकर,
मन में उलझनें हैं सैंकड़ों।
तेरी यादें ही मुझे,
दे जाती हैं कुछ सुकून भरे पल।

तेरे हर शब्द में,
मेरे दिल में गूंजता है प्यार।
लेकिन मैं फिर भी सोचता हूँ,
क्या तू मुझे फिर पुकारेगा यार?

तेरे बिना रातें,
जैसे अधूरी हो एक सपना।
हर रात एक सवाल,
मेरे दिल में उठता है, क्यों न हो हम?

विरह की इस पीड़ा में,
दिल टूटता है धीरे-धीरे।
तेरे बिना यह जीवन,
शायर जी आर के लिए, अब सहन नहीं हो सकता।

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