Sunday, December 22, 2024

"दिल की ग़ज़ल"

"दिल की ग़ज़ल"

क़समें वफ़ा की तुझसे ली, दिल का ये हाल सुनाए कौन,
तेरी यादों की सिलसिला, अब इस दिल से मिटाए कौन।

कन्नी दिया हुआ पतंग, डोरी डाल आसमान उड़े,
तेरी यादों के बादलों से, ये दिल अब कैसे लड़े।

मेरे सूने से जहां में, तेरी यादें बस गईं,
हर धड़कन में गूंजे वो, बातें जो खो गईं।

चुपके से छू गई हवा, तेरी आहट की कहानी,
मेरे सूने दिल की राहों में, तेरे कदमों के निशां मिले।

इस तन्हा रात की बाहों में, तेरे ख़्वाबों के दिये जले,
जिनसे रौशन है अब तक, ये टूटे दिल का वीराना।

शायर जी आर का दिल भी, तुझसे लिपटा हर राह में,
तेरे बिना अधूरी है, हर धड़कन हर चाह में।

जी आर कवियूर
21 -12-2024

No comments:

Post a Comment