तेरे बिना मैं बेबस हो गया,
तड़पता रहा अल्फाज़ों के लिए।
हर लम्हा तेरी याद सताती रही,
ख़ुदा से दुआएं सजदों के लिए।
चमकती हुई चांदनी भी उदास,
तरसती रही परछाइयों के लिए।
वो आए तो दिल को सुकूं मिल गया,
मगर रो पड़ा जज़्बातों के लिए।
गुज़ारिश हमारी रही उम्र भर,
वो लम्हा जो रुके वसलों के लिए।
तेरी सांसों की खुशबू में खो गए,
मचलती रही ये हवाओं के लिए।
मोहब्बत के रास्ते आसान न थे,
चलते रहे हम ग़लतियों के लिए।
जी. आर. के. "तनहा" दिल की गहराई में,
तेरे दर्द भरे नग़मे लिखे हैं।
जी आर कवियूर
27-12-2024
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