तेरे बिना (ग़ज़ल)
कभी खामोशियों से दिल नहीं बहलता,
तेरे बिना ये तन्हाई नहीं सिमटती।
हर सुबह दर्द का पैग़ाम लिए आती,
तेरी यादों से ये रुत कभी नहीं हटती।
ख़्वाब में भी तेरा ही अक्स रहता है,
जिन लम्हों की है प्यास, वो कभी नहीं मिलती।
तेरी महफ़िल की रौनकें फिर ढूंढू मैं,
तेरे बिना मेरी दुनिया कभी नहीं सजती।
ज़ख़्म दिल के छुपाऊं कैसे, बता दे तू,
हर आह से निकलती बात कभी नहीं पलटती।
जी आर की बातें नहीं बदले तेरे बिना,
ये फ़िज़ा अब बहारों से कभी नहीं महकती।
जी आर कवियूर
31-12-2024
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