"""ख्वाबों की गलियों में तलाश"(ग़ज़ल)
दिन है कि रात
खोजता रहा तुम्हें
सपनों की गलियों में, खोता रहा मैं।
सन्नाटों से पूछी दिल की कहानियां,
हर अश्क में तेरी तस्वीर ढूंढी।
चांदनी से मांगता तेरी कोई खबर,
सितारों से हर रोज शिकायत की।
मिलने की तलब ने पागल किया मुझे,
आंधियों में भी तेरा नाम पुकारा।
जी.आर. का ये दर्द सुन लो ऐ जहां,
हर सांस में मैंने तुझे महसूस किया।
दिन है कि रात, हर घड़ी मेरा साया,
तेरे बिन ये दिल अधूरा सा लगता।
जी आर कवियूर
08 12. 2024
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