तेरे बिना शायर की धड़कनें खामोश (ग़ज़ल)
तेरे वजूद से ही मुझे जीने की आरज़ू मिलती है,
मगर तेरी ख़ामोशी तन्हाई के ग़म में डुबो देती है।
हर धड़कन तेरी यादों की सदा लेकर आती है,
तेरा ज़िक्र ही मेरे दिल को राहतें दे जाती है।
चुप रहकर भी तूने कितने हज़ार सवाल किए,
तेरी नज़रें मेरी रूह को आईना दिखाती हैं।
मोहब्बत का ये दरिया तूने बहाकर छोड़ दिया,
हर लहर मुझको तेरी बाहों की कसम दिलाती है।
तेरी मुस्कान गुलाबों की महक से भी प्यारी है,
तेरी बातें मेरे दिल को एक नई ज़िंदगी दे जाती हैं।
तेरे बिना शायर की धड़कनें खामोश हो जाती हैं,
तेरी मौजूदगी से ही उसकी रचनाएँ संजीवनी पाती हैं।
जी आर कवियूर
19 -12-2024
No comments:
Post a Comment