"विरह के आँसू और यादों की बरसात"(ग़ज़ल)
तेरे ख़याल ने अश्कों से दामन भर दिया,
आँखें भी सूख गईं, दिल बेकरार हो गया।
दिन हो या रात, मीठा दर्द मन में छा गया,
जिसको बताएँ, वही बेखबर हो गया।
चाहा जिसे, उसने ही नजरें चुरा लीं,
हमने भी खामोशी को अपनी सजा दी।
हर मोड़ पर जज़्बात से तकरार हुई,
दिल ने हर आरज़ू से जंग लड़ी।
जख़्म तो लाखों मिले, पर मरहम नहीं मिला,
ख़ुदा भी खामोश रहा, जब हौंसला खो गया।
हमने तो चाहा था उन्हें उम्र भर अपना बनाना,
'जी.आर.' का नाम भी उनकी यादों में खो गया।
जी आर कवियूर
05 12. 2024
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