व्यक्त बहुत कम है अभी, जाओ
जिंदगी के रास्ते छोटे हैं।
तुमसे दूर जाकर क्या पाओगे,
तुमसे मिलने के सच्चे होते हैं।
दिल की आवाज़ को सुनते रहना,
वो सन्नाटा भी अब ज़्यादा होते हैं।
सपने टूटते हैं उम्मीदों के संग,
पर फिर भी ज़िंदगी के नए रंग होते हैं।
वक्त की धार में बहते हैं हम,
दिल के जख्म अब भी तेरे रंग होते हैं।
हर रात के बाद सुबह आती है,
कभी-कभी कुछ ख़्वाब भी खोटे होते हैं।
जी आर के तनहा दिल और ना इंतजार कर सकते हैं,
इश्क़ की राहों में अब वो घाव गहरे होते हैं।
जी आर कवियूर
29-12-2024
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