दिल में ऐसे हुए हलचल,
जैसे बादल घिरे आसमान को।
और आई आंधी और तूफानी,
जैसे बंधा हो मोहब्बत का पैगाम को।
चमक उठे अरमानों के बिजली,
बिखेर दिया ख्वाबों की उड़ान को।
सजदे में गिरी खामोश रातें,
तेरे वादों ने तोड़ दिया इमान को।
फिजाओं में तेरी आहट बसी,
ले आई ख्वाबों के गुलिस्तान को।
तेरी कमी ने सहारा दिया,
तन्हा खड़ी दिल के वीरान को।
तू आएगी या नहीं बताएगी,
बस यही सवाल है ज़ुबान को।
शायर जी आर तो इंतजार में हैं,
मिलाए कब तू जान से जान को।
शायर जी आर कवियूर
No comments:
Post a Comment