Saturday, December 21, 2024

"इश्क़ की रूह" (ग़ज़ल)

"इश्क़ की रूह" (ग़ज़ल)

नस नस में बहे तेरे नाम की लहू,
सांसों में महके खुशबू तेरी ही।
दिल धड़के तेरी ही आवाज लेकर,
आख़िरी दम तक रहेगी तेरी इश्क़ की रूह।

तेरी आँखों में डूबा जहाँ का हर सितारा,
तू है तो हर लम्हा लगे जैसे नज़ारा।
तेरे हुस्न के चर्चे हैं अब हर गली में,
मैं तेरा दीवाना, मेरी बातें दिल की जुबानी।

तेरी राहों में बिछी हैं मोहब्बत की दुआएँ,
तेरे कदमों से चलें आसमान की हवाएँ।
जुदाई का ख्याल भी सहा नहीं जाता,
तेरा होना ही मेरे दिल को करार है देता।

शायर जी आर की जबानी, सुन ले इश्क़ का पैगाम,
तेरे बिना अधूरी है ज़िंदगी की हर शाम।

जी आर कवियूर
21 -12-2024

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