Friday, December 13, 2024

"यादों का गुलिस्तां"(ग़ज़ल )

"यादों का गुलिस्तां"(ग़ज़ल )


दिल की ज़बान पर लिखा है तेरा ही नाम
दौलत केवल है तेरी यादों का गुलिस्तां।

फूलों से ज़्यादा खार को अपना बना लिया,
खुशबू के वास्ते जो किया था कोई मकां।

बरसों से एक आह लिए फिर रहा हूँ मैं,
दिल के वीराने में अब तक है तेरा जहां।

गुज़रे थे साथ कुछ ही पल किसी ज़माने में,
लेकिन वो लम्हे बन गए हैं मेरी दास्तां।

तेरे बिना हर एक सफ़र सूना सा लगता है,
गुज़री है उम्र, मगर तुझको भुला न सका।

शायर "जी.आर." अब भी है तेरा दीवाना,
बरसों की दूरी से भी मिटती नहीं ये निशां।

जी आर कवियूर
14 12. 2024

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