आजा सॉन्ग मोरे, ये दिल तन्हा हुआ है,
आँसू जो भरे थे, वो दरिया बन गया है।
तेरी राह तकते हैं ये बेचैन नज़ारे,
ख़्वाबों में तसव्वुर भी अब धुंधला हुआ है।
आओ कि सुकूँ दिल को तेरे पास मिलेगा,
वर्ना ये तमन्ना भी दुआ-सा बन गया है।
सूरज से कहे शब भी कि आ लौट के आ जा,
रंगीन जो था आलम, वो सहरा बन गया है।
बातें जो अधूरी थीं, वो यादें बन गईं अब,
हर ग़म तेरे नाम पे अमानत बन गया है।
शायर ने लिखा तुझको, हर एक शेर में जी.आर.,
तेरा नाम भी अब मेरी तहरीर बन गया है।
जी आर कवियूर
04 12. 2024
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