तेरी प्रीत भारी तनहा मन में,
रीत लगे प्यारा, ये जीवन में।
हर धड़कन ने नाम तुम्हारा लिया,
कैसा असर है तेरे दरपन में।
चांदनी रात गवाही देती रही,
तेरा अक्स दिखा हर दर्पण में।
तुझसे बिछड़कर कैसे जिएंगे अब,
हर सांस बसी तेरी उलझन में।
जागी रातें पूछें अंधेरों से,
क्यों जुगनू भी खो गए उलझन में।
हर आहट पर उम्मीदें जागी,
शायद तू हो इस धड़कन में।
तेरा ख़त जब से आया हाथों में,
जश्न सजा है मेरे आंगन में।
शायर 'जी आर' पूछे ये दुनिया से,
क्यों दिल लगा बैठे इस जलन में।
जी आर कवियूर
26-12-2024
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