अंधेरे में उजाला बनकर
आई थी तू मेरी ज़िंदगी में,
आकाश तले छाया बनकर,
साथ दिया हर दर्द के सफ़र में।
तेरे एहसास से महक उठे,
सूने दिल के वीराने सारे,
बनके बहार तू आई थी,
खुशबू भर दी मेरी फिज़ाओं में।
तेरे लबों की हंसी ने रोका,
हर आंसू को मेरे रुखसार से,
तेरी बाहों में पाई पनाह,
दिल की तपिश बुझाई प्यार से।
तेरी नज़रों से जो मिला सुकून,
कभी ख्वाब, कभी इबादत बनकर,
तेरे बिना अधूरी ये धड़कन,
जीना है बस तेरी हसरत बनकर।
हर एक लम्हा तुझसे सजीव है,
हर सांस में नाम तेरा बसा,
जो भी हूँ, हूँ तेरे वास्ते,
जी आर की आशिकी तेरे लिए।
जी आर कवियूर
06 12. 2024
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