"यादों का समंदर" (ग़ज़ल)
दिल के अंदर पलते ख़्वाब,
बस यादों के हैं कुछ हिसाब।
छांव बनी, साया बनी,
ज़िंदगी की राहों का नक़्शा तुमसा आब।
लहरें उठें, हिलोरें लें,
किनारे से कहें, पर पूरी बात नहीं।
गहराई में समंदर से मिले,
आँसू भरे, मगर जवाब नहीं।
कल के सपने, नए ख्वाब,
हर सफ़र की है ये इत्तेफ़ाक़।
तू फिर आ, साथ चल,
मोहब्बत की खुशबू बिखेर हर मक़ाम।
‘जी आर’ की धड़कन हमेशा,
उनकी यादों के नग़मे लिए जीते हैं।
जी आर कवियूर
29-12-2024
No comments:
Post a Comment