जिया ना लगे पिया, आँसू बहुत पिया।
तुम बिन ये चाँदनी, जैसे बुझा दिया।
दिल की तपिश कहां, ये शीतल छांव कहां,
तेरी वो बातें सभी, सपनों ने छीन लिया।
दरिया से पूछ लो, बहता है किसलिए,
उसकी कहानी में, दुख का है सिलसिला।
तुम आओ लौटकर, सांसों में राग दो,
जितना भी दर्द है, सबकुछ मिटा दिया।
जी आर का माथा झुका तेरी राह में,
तेरे बिना, हर पल ने ग़म से भर दिया।
जी आर कवियूर
10 12. 2024
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