तू ही तू हो
मैं ही तू हो, तू ही मैं हूं,
सारे जहां में, तू ही तू हो।
तेरे लिए लिखता हूं और,
जी रहा हूं, बस तेरे लिए।
तेरे बिना बहारें अधूरी,
खुशबू भी लगती फीकी-सी।
तेरा साथ ही तो रोशन करे,
इस दिल की हर एक दीवारों को।
मैं ही तू हो, तू ही मैं हूं,
सारे जहां में, तू ही तू हो।
तेरे लिए लिखता हूं और,
जी रहा हूं, बस तेरे लिए।
तेरा नाम लबों पर सजता,
जैसे इबादत का सुर हो।
तेरी यादों का दिया जलाकर,
हर रात चांद का नूर हो।
मैं ही तू हो, तू ही मैं हूं,
सारे जहां में, तू ही तू हो।
तेरे लिए लिखता हूं और,
जी आर जीता है बस तेरे लिए।
जी आर कवियूर
20 -12-2024
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