Sunday, December 1, 2024

परछाइयां लुट गई (ग़ज़ल)

परछाइयां लुट गई (ग़ज़ल)

परछाइयां लुट गई मुझे
वादा ये तोड़ कर
जख्मी कर गई दिल को
नैनो से आंसू भी सुख गए

तेरी खामोशी में ग़म छुपा था,
दिल की दुआ को धोखा देकर
हर इक लम्हा दर्द बन गया,
तेरे बिना हर दिन वो बीत गए।

अब तो तुझे याद करता हूं,
जब रातें भी तन्हाई में खो गईं।
सवाल वही, अब क्यों दूर हैं,
कहीं तो मोहब्बत की राह खो गई।

जी आर का ग़म है यह सच्चाई,
जो चाहा था, वह खो गया।

जी आर कवियूर

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