मिलाया और बिछड़ा, बनाया और बिगड़ा
तेरे करम से ही, ये जहाँ सारा बना।
सूरज और चाँद, दिन और रात हैं तेरे,
हर इक अक्स में, तेरा ही जलवा दिखा।
नदी और सागर, मिलें तो बनें कहानी,
तेरी माया से, हर सफर जुड़ता रहा।
फूलों में महक, तितलियों में रंग तेरे,
तेरे इशारे पर, ये चमन सजता रहा।
सपनों में तेरे, खोया ये दिल हमेशा,
तेरी रहमतों ने, हर दुखों से छुड़ा।
कहता है "जी आर," तेरे इश्क़ में सज़दा,
तुझसे जुदा होकर, ये दिल कभी न रहा।
जी आर कवियूर
15 -12-2024
No comments:
Post a Comment