Thursday, December 12, 2024

"तन्हाई का खंजर" (ग़ज़ल)

"तन्हाई का खंजर" (ग़ज़ल)

मुझे इस तरह और ना तड़पाओ
तन्हाई से दिल टूट चुका है 

हर ज़ख्म ने दिल पर गहराई लिखी
गुज़रे वक्त का दर्द चखा है

रातों की उदासी से डर लगता है
चुपचाप हर आँसू को सखा है

दुनिया की हंसी में अकेला सा मैं
अपने दर्द को छुपा के रखा है

तुम्हारी यादों से बात कर लेता हूँ
इन्हीं लम्हों में दिल को बहला है

तन्हाई का खंजर जो दिल में उतर गया
शायर ‘जीआर’ अब खामोश ठहर गया 

जी आर कवियूर
12 12. 2024

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