दर्द की परछाईं" (गजल)
तेरे बिना ये लम्हे खामोश हैं,
जैसे वक्त रुक गया हो।
हर गली से तेरा अक्स झांकता है,
जैसे मेरे दर्द को पढ़ गया हो।
तेरी हंसी की गूंज अब भी सुनाई देती है,
दिल के खाली कोनों में।
सांसें चल रही हैं, पर हर धड़कन कहती है,
तेरे बिना सब अधूरा है।
मैंने सितारों से तेरी रोशनी मांगी,
पर रात और गहरी हो गई।
तेरे जाने के बाद,
मेरा हर सपना बिखर गया।
जीआर के अश्कों में बस तेरा नाम है,
तेरे बिना हर पल बेमायने और शाम है।
जी आर कवियूर
25-12-2024
No comments:
Post a Comment