दिल के आईने में छुपा रखा था तेरी तस्वीर को,
कैसे कहूँ शब्दों में इस दिल की अधूरी तकदीर को।
हर ग़ज़ल में ढूंढा तेरा चेहरा इस अकेलेपन के साथ,
तन्हाई ने और बढ़ा दिया इस दिल के दर्द को।
तेरी खामोशी को समझने में सारी उम्र बीत गई,
नज़रें मिलीं मगर दिल ने कभी इज़हार न किया।
हर कदम पर तेरा एहसास मेरे जीवन का हिस्सा रहा,
तेरी कमी ने मुझे हर पल अधूरा बना दिया।
चाँदनी रातों में तेरी यादें फिर से लौट आती हैं,
दिल ने भुलाने की हर कोशिश पर हार मान लिया।
अब तो तन्हाई का आलम मेरा साथी बन गया,
जी आर लिखता है बस दिल की टूटी हुई यादों को।
जी आर कवियूर
11 12. 2024
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