Friday, December 20, 2024

"यादों का इंतज़ार" (ग़ज़ल)

"यादों का इंतज़ार" (ग़ज़ल)

वो छोटी सी रातें, वो मुलाक़ातें
लंबी सी बातें, सुनहरे सपने अपने।
जिनकी वजह से दिल आज भी बहलता है,
उनकी यादें हैं, जो दिल को जलाती हैं।

सर्द हवाओं में उनका एहसास ज़िंदा है,
हर लम्हा उनकी ख़ुशबू को तलाशता है।
जो आँखों से कहा था, दिलों से सुना था,
वो खामोशी हर शब् याद दिलाती है।

चमकते चाँद से भी कम है वो चमक,
जो उनकी मुस्कान में बसी थी कभी।
ये दिल तो आज भी उसी राह पर खड़ा है,
जहाँ उनके क़दमों की आहट सुनी थी कभी।

"जी आर" कहे अब दिल की बात क्या लिखूँ,
उनकी राह तकते ये पल थमते नहीं कभी।

जी आर कवियूर
21 -12-2024

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