Sunday, December 8, 2024

ख्वाबों में खोया जी रहा हूं (ग़ज़ल)

ख्वाबों में खोया जी रहा हूं 
(ग़ज़ल)

बस यही सोचता रहता हूं तेरे बारे में
आंधी आए या तूफ़ान, ख्वाब देखता रहता हूं

तेरे लबों की शरारत, तेरी आँखों की नमी
हर एक अंदाज़ को हर रोज़ समझता रहता हूं

चाँदनी रातों में जब तेरा ज़िक्र आता है
अपने दिल की कहानी कागज़ पे लिखता रहता हूं

तेरा गजरा, तेरी खुशबू, तेरी मासूम हँसी
इन तमाम यादों को दिल में बसाए रखता हूं

मुझसे कहते हैं लोग क्यों इतना दीवाना हूं
हर ख़ता पे भी तुझे बेगुनाह कहता रहता हूं

तेरी मोहब्बत का असर, हर बात में दिखता है
"जी.आर." तेरा ही होकर हर लम्हा जीता रहता है

जी आर कवियूर
09 12. 2024

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