इस तरह मोहब्बत ने (ग़ज़ल)
इस तरह मोहब्बत ने तनहाई में छोड़ दिया,
यादों के समंदर में बस डूबता चला गया।
हर लम्हा तेरा साथ अब ख्वाबों में है,
सच को जीने की चाह, बस टूटता चला गया।
तेरी हँसी की गूंज से दिल महक उठता था,
अब वही सन्नाटों में बस गूंजता चला गया।
हर सिम्त तेरे ख़्वाब का मंज़र दिखा मुझे,
तन्हा था, पर फिर भी मैं तुझसे जुड़ा रहा।
ख़ुशबू तेरी साँसों की अब भी संग है मेरे,
पर इस दिल का हर कोना वीरान सा हो गया।
तेरे नाम पर लिख दीं मैंने ये शामें सारी,
"जी आर के दर्द" ऐलान है, अब बस जी रहा हूं।
जी आर कवियूर
30-12-2024
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