Monday, December 23, 2024

"दिल के आईने में" (ग़ज़ल)

"दिल के आईने में" (ग़ज़ल)

वह मुझे छोड़ कर कहां चली गई
दिल के आईने में अभी भी वही है।

साँसों की खुशबू में महकी हुई,
रूह की वादी में बसी वही है।

वक्त के साए भी मिटा न सके,
उसकी मोहब्बत की लकीर वही है।

चांदनी रातों में ख्वाबों के जैसे,
हर दिलकशी में दिखी वही है।

उसकी यादों का गुलाब आज भी,
दर्द के दामन में खिला हुआ है।

वह जी आर को छोड़ कर कहां चली गई,
दिल के आईने में अभी भी वही है।

जी आर कवियूर
23 -12-2024

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