Saturday, December 7, 2024

"दिलासा देती है"(ग़ज़ल)

दिलासा देती है"(ग़ज़ल)

दिलासा देती है
तेरी ना आने की ख़बर मुझे।
मगर यह दिल,
हर पल बेचैन करता है मुझे।

तेरी हर आहट का,
इंतज़ार करता है मन।
सोचता हूँ शायद,
फिर से तू बुला ले मुझे।

तेरे बिना ये रातें,
जैसे अधूरे स्वप्न।
हर सुबह का उजाला,
नया सवाल देता है मुझे।

विरह की इस अग्नि में,
हृदय राख हो चला।
तेरे बिना ये जीवन,
शायर जी आर का दर्पण लगे।

जी आर कवियूर
08 12. 2024

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