वक्त ठहरा तेरी याद में,
दिल धड़के जैसे साज़ में।
नज़रें ठहर जाएं पल भर को,
तेरे अक्स की परवाज़ में।
मौसम सभी मुरझा गए,
तेरे नाम की हर आवाज़ में।
फूलों की महक भी पूछे है,
क्यों खोए हो तुम अंदाज़ में।
हर शाम ढले तेरे इंतजार में,
चमके चांद भी तेरे जज़्बात में।
सदियों का सफर कट गया,
इक पल तेरी परवाज़ में।
अब जी लूं हर दर्द को,
शामिल करूं तुझे हर राज़ में।
जी आर की ग़ज़ल कहती है,
इश्क़ बसा हर अल्फ़ाज़ में।
जी आर कवियूर
03 12. 2024
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