Friday, December 6, 2024

तेरी आँखों में बसी खामोशी" (ग़ज़ल)

तेरी आँखों में बसी खामोशी" (ग़ज़ल)

तेरी आँखों में बसी खामोशी,
मेरे दिल में तेरी यादें बसी हैं रोशनी।

कभी कह न पाया, जो दिल में था,
तेरी चुप्प ने रखा उसे हमेशा ताजगी।

तेरे बिना हर पल वीरान सा लगे,
जैसे कोई बर्फीली रात हो, बिना किसी खुशी।

तेरी यादों के साथ जीते हैं हम,
ये सर्दी भी अब हुई है एक नई जिंदगी।

दिल में बसी हैं तेरी मोहब्बत की लकीरें,
और तेरे बिना हर राह हो जैसे अजनबी।

इस खामोशी में बस तेरा ही असर है,
तू नहीं है फिर भी है तेरी महक सी।

ग़ालिब की तरह, जी आर भी महसूस किया है,
इश्क़ में दुख के साथ, जीने की सजा है।


जी आर कवियूर
06 12. 2024



No comments:

Post a Comment