(ग़ज़ल)
क्यों इतनी खामोशी
कुछ तो इशारा कीजिए,
मुखना मोटिये दिल खोलिए
हाले-दिल बयां कीजिए।
आंखों में छुपी है जो बात
उसे आज जाहिर कीजिए,
ख्वाब जो सजाए हमने
उन्हें हकीकत बना दीजिए।
सांसों की सरगम सुनिए
इश्क का राग छेड़िए,
दिल के हर कोने में
अपना नाम लिख दीजिए।
जीआर का ये पैगाम सुनो
रूठना छोड़ अब पास आओ,
मोहब्बत की इस गली में
जिंदगी को इश्क सिखाओ।
जी आर कवियूर
03 12. 2024
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