Tuesday, August 26, 2025

तेरी यादें( ग़ज़ल)

तेरी यादें
( ग़ज़ल)

अश्कों में भी छुपा न सके तेरी यादें,
दिल से कभी मिटा न सके तेरी यादें।

रातों की तन्हाई में जगाती हैं तेरी यादें,
ख़्वाबों में चुपके से चली आती हैं तेरी यादें।

मौसम के हर झोंके में बसती हैं तेरी यादें,
फूलों की ख़ुशबू में महकती हैं तेरी यादें।

ज़ख़्मों को भरने न दिया अब तक तेरी यादें,
जाने क्यों दिल को सताती हैं तेरी यादें।

सदियों से दिल के सफ़्हों पे लिखी हैं तेरी यादें,
आँखों में अश्क़ बनकर ढली हैं तेरी यादें।

"जी आर" भी अब जी रहा है इन्हीं सायों में,
रूह का हिस्सा बन गई हैं तेरी यादें।


जी आर कवियुर 
 26 08 2025
(कनाडा, टोरंटो)

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