Sunday, August 31, 2025

री याद के सिलसिले" (ग़ज़ल )

री याद के सिलसिले" (ग़ज़ल )

रोते हैं तेरी याद में, मगर अश्क कहाँ छुप गए
दिल ये नाचीज़ क्या कहे, अभी सोचते रह गए

तेरी गली से लौटकर, हर सफ़र अधूरा रहा
राह में जो थे उजाले, सभी ख़्वाब में रह गए

इक मुस्कुराहट तेरी, हज़ार दर्दों की दवा
तेरे बिना ये ज़िंदगी, सवालों में बह गए

चाँदनी भी शरमा गई, तेरी सूरत देखकर
रात की तन्हाइयों में, सितारे भी थम गए

दिल के जख़्म क्या कहें, रंगीन ग़ज़ल बन गए
तेरे हुस्न के तसव्वुर से, दर्द भी संवर गए

अब 'जी आर' की ग़ज़ल में, तेरी यादों का रंग है
तेरे इश्क़ के सिलसिले, हर शे'र में ढल गए

जी आर कवियुर 
30 08 2025
( कनाडा, टोरंटो)

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