Tuesday, August 19, 2025

अकेले विचार – 102

अकेले विचार – 102

जब प्रभात की किरणें मुस्काएँ,
मन में आशा के दीप जगाएँ।
आईने में नज़र जो डाले,
विश्वास के रंग हृदय संभाले।

होंठों पर हंसी का प्यारा नूर,
सन्नाटा भर दे आनंद भरपूर।
पावन उपहार यही तो है,
सच्चे प्रेम की पहचान रहे।

सुबह कहे फिर "चलो नया सफ़र,"
नेकी करो हर जगह, हर डगर।
ये उजियारा सदा साथ दे,
जीवन को मधुर राह दिखा दे।

जी आर कवियुर 
19 08 2025
( कनाडा, टोरंटो)

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