सफर है लंबा, पर दिल नहीं थका,
हर बादल के पार, कोई सपना बसा।
नीचे ज़मीन, ऊपर आसमां,
बीच में मैं, और कुछ अनकहा सा ग़ुमान।
वक़्त की चुप्पी, खिड़की से झाँके,
यादों की परछाइयाँ मुझसे बातें करें।
कतरा-कतरा आसमान लिख रहा अफ़साना,
दिल ने भी रखी है इक दुआ, इक ठिकाना।
मीलों की दूरी, मगर एहसास पास है,
हर दिल की धड़कन में कोई खास बात है।
नई सुबह की ओर उड़ते हैं हम,
हर मंज़िल में छुपा एक नया संगम।
जी आर कवियुर
02 08 2025
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