दूसरों की राय में जो उलझे,
अपने मन की बातें भूलते।
मुस्कान उधारी लगती मीठी,
पर अंदर से वो सब छीनती।
सोच की उड़ान रुक जाती है,
ख्वाबों की रोशनी बुझ जाती है।
अपने विचार खो देते हैं,
अंदर से हम थक जाते हैं।
साहस से खुद की राह चुनो,
स्वाभिमान को मत कभी गुम करो।
तुम्हारे पास है खुद की आवाज़,
गाओ वही, चाहे जो हो अंदाज़।
जी आर कवियुर
07 08 2025
(कनाडा, टोरंटो)
No comments:
Post a Comment