सुबह की पहली किरण मन में खिलती और मुरझाती है,
जब जागा तो शाम का फूल खिल उठा,
तुम्हारे शब्दों में खुशी है,
मैं तुम्हारी मुस्कान में सवेरा का इंतजार करता रहा।
बारिश की बूँदों की तरह खिलते हुए,
तुम्हारी मुस्कान ने मेरी आत्मा को भिगो दिया,
नीले आसमान के नीचे, जब तारों की माला चमकती है,
तुम्हारा आना मेरी आँखों में सपने भर देता है।
मेरे दिल के बाग़ में बसंत आया है,
प्रेम के मेहमान के रूप में,
अक्षरों ने फूलों की तरह खिलना शुरू किया,
कुक्कू का गीत नाचा और गाया,
क्या तुम मेरे साथ गाने चलोगी?
जब तुम मेरे करीब आती हो,
सुबह की धूप बसंत के फूल बन जाती है,
तुम्हारी आँखों में चमक है,
पंख की नोक पर कविता की तरह,
मेरे दिल में मीठा दर्द खिल उठा,
तुम मेरे जीवन के गीत में खुशी लाती हो।
जी आर कवियुर
08 08 2025 ,5:30 am
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